LAF का full form है – Liquidity Adjustment Facilities.
आपने शायद कई पोस्ट पढ़े होंगे जिसमें RBI, money supply को कैसे कण्ट्रोल करती है जिसे हम Govt. का monitory policy भी कहते हैं. Repo Rate, Reverse Repo Rate, CRR आदि भी monitory policy के अंतर्गत आती है. इस प्रकार LAF भी एक ऐसा tool है जिसे RBI short-term money supply के लिए प्रयोग करती है.
LAF का इतिहास
1998 बैंकिंग रेक्टर रिफार्म के लिए Narsminam Committee बनी थी जिसने LAF को लागू करने की सिफारिश की थी.
1999 RBI ने interim LAF पेश किया गया.
2000 RBI full-fledged LAF introduce किया गया.
आपने Bollywood movies में देखा होगा कि कोई विदेशी स्मगलर India आता है और India के top smuggler से एक deal करता है. smuggler इंडिया के कुछ golden statues चाहता है और बदले में एक काले suitcase में ढेर सारा cash देता है. भारत वाला smuggler statues का auction/नीलामी करता है और deal over हो जाता है. कुछ इसी तरह LAF के अंतर्गत भी होता है
LAF के जरिये बैंक किसी भी आपात स्थिति के लिए या CRR और SLR को maintain करने के लिए RBI से पैसे उधार ले सकता है. LAF के अंतर्गत, RBI सरकारी प्रतिभूतियों (Govt. securities) की नीलामी करता है. न्यूनतम बोली-प्रक्रिया की राशि (biding-amount) 5 करोड़ रुपये की होती है. LAF में, RTGS (Real time gross settlement) के माध्यम से पैसों का लेन-देन होता है.
LAF के बारे में ध्यान रखने वाली बातें
- Minimum bidding की राशि 5 करोड़ रुपये है.
- सभी बैंक LAF bid के लिए योग्य हैं.
- बैंक जितनी चाहे उतनी रकम उधार के रूप में ले सकता है जब तक उसके पास securities sell करने की क्षमता है.
- SLR quota को बैंक security sell के लिए प्रयोग में नहीं ला सकता.