गैर बैंकिंग वित्‍त कंपनियां (NBFC):


गैर बैंकिंग वित्‍त कंपनियां भारतीय वित्‍तीय प्रणाली की महत्‍वपूर्ण श्रेणी के रूप में तेजी से उभर रही हैं। यह संस्‍थाओं का विजातीय समूह है (वाणिज्यिक सहकारी बैंकों को छोड़कर) जो विभिन्‍न तरीकों से वित्‍तीय मध्‍यस्‍थता का कार्य करता है जैसे जमा स्‍वीकार करना ऋण और अग्रिम देना, पट्टा किराया खरीद आदि। वे जनता से प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप में निधियां जुटाती हैं और अंतिम व्‍यय कर्ता को उधार देती हैं। वे विभिन्‍न थोक और खुदरा व्‍यापारियों को लघु उद्योगों और स्‍वरोजगार व्‍यक्तियों को अग्रिम ऋण देती हैं। इस प्रकार से उन्‍होंने वित्‍तीय क्षेत्रक द्वारा प्रदत्‍त उत्‍पादों और सेवाओं का विविधीकरण और विस्‍तार किया है। धीरे-धीरे उनकी पहचान उनकी ग्राहकोन्‍मुखी सेवाओं, सरलीकृत प्रक्रियाओं, जमाओं पर प्रतिफल की आकर्षक दरों, लचीलापन और विशिष्‍ट क्षेत्रक की ऋण आवश्‍यकताओं को पूरा करने में समयनिष्‍ठा आदि के कारण बैंकिंग क्षेत्रक के पूरक के रूप में हो रही है।
एन बी एफ सी के कार्यचालन और संचालन का विनियमन भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (अध्‍याय III ख) के ढांचा और इसके द्वारा अधिनियम के तहत जारी किए गए निदेशनों के अधीन किया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुसार गैर बैंकिंग वित्‍त कंपनी को निम्‍न तरीके से परिभाषित किया गया है :- (i) एक वित्‍त संस्‍था जो कंपनी है; (ii) एक गैर बैंकिंग संस्‍था जो कंपनी है और इसका मुख्‍य व्‍यापार के रूप में किसी योजना या व्‍यवस्‍था के अधीन अथवा किसी अन्‍य तरीके से जमा प्राप्‍त करना अथवा किसी तरीके से उधार देना हैं; (iii) ऐसी अन्‍य गैर बैंकिंग संस्‍थान या ऐसी संस्‍थाओं का वर्ग जैसा कि केंद्रीय सरकार के पूर्वानुमोदन और सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बैंक विनिर्दिष्‍ट करता है।
अधिनियम के अधीन एन बी एफ सी के लिए जमा करने वाली कंपनी के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकरण करना अनिवार्य हैं। इस पंजीकरण से इसको एनबीएफसी के रूप में अपना व्‍यापार करने के लिए प्राधिकृत करता है। भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकरण के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत निगमित कंपनी और गैर बैंकिंग वित्‍तीय संस्‍था के रूप में कार्य करने आरंभ करने के इच्‍छुक के पास कम से कम निवल स्‍वामित्‍व की 25 लाख रुपए की निधि होनी चाहिए (जिसे 21 अप्रैल, 1999 से बढ़ाकर 200 लाख रुपए कर दिया गया है) शब्‍द एनओएफ का अर्थ है स्‍वामित्‍व की निधि (चुकता पूंजी और मुक्‍त आरक्षित से संचयी हानि घटाएं, राजस्‍व व्‍यय में आया अंतर और अन्‍य अमूर्त परिसंपत्तियों घटाएं, (i) अनुषंगी/कंपनियों के उसी समूह में/अन्‍य सभी एन बी एफ सी के शेयरों में निवेश, और (ii) डिबेंचरों/बांडों/बकाया ऋणों और अग्रिमों का बही मूल्‍य, इसमें किराया खरीद और पट्टा वित्‍त जो उसी समूह की अनुषंगी/कंपनियों को दिया जाता है और उनमें जमा किया जाता है जो स्‍वामित्‍व की निधि से अधिक से अधिक 10 प्रतिशत होता है।
पंजीकरण प्रक्रिया में निर्धारित प्रपत्र में कपंनी द्वारा आवेदन जमा करना जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक के विचार के लिए आवश्‍यक दस्‍तावेज साथ में देना पड़ता है। यदि बैंक के इस बात से संतुष्‍ट होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में दी गई शर्तें पूरी होती हैं तो यह कंपनी को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करता है। केवल वे ही एनबीएफसी जिनके पास वैध प्रमाणपत्र है, सार्वजनिक जमा स्‍वीकार/रख सकते हैं। सार्वजनिक जमा स्‍वीकार करने वाला एन बी एफ सी को गैर बैंकिंग वित्‍त कंपनी सार्वजनिक जमा स्‍वीकार करने के निदेशन 1998 जैसाकि बैंक द्वारा जारी किया गया है, का अनुपालन करना चाहिए। एन बी एफ सी द्वारा जमा स्‍वीकार करने से संबंधित कुछ महत्‍वपूर्ण विनियम निम्‍नलिखित हैं :-
  • उनके लिए कम से कम 12 माह की अवधि के लिए और अधिकतम 60 माह की अवधि के लिए सार्वजनिक जमाओं को स्‍वीकार/नवीकरण करने की अनुमति है।
  • वे मांग पर पुनर्भुगतान योग्‍य जमा स्‍वीकार नहीं कर सकते हैं।
  • वे समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से ब्‍याज दर नहीं दे सकते हैं।.
  • वे जमाकर्ताओं को उपहार/प्रोत्‍साहन या अन्‍य अतिरिक्‍त लाभ नहीं दे सकते हैं।
  • उनका न्‍यूनतम निवेश ग्रेड क्रेडिट रेटिंग होनी चाहिए।
  • उनकी जमाओं का बीमा नहीं किया जाता है।
  • एन बी एफ सी द्वारा जमाओं का पुनर्भुगतान की गारंटी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नहीं दी जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत एन बी एफ सी निम्‍न प्रकार के हैं:-
  • उपकरण पट्टे पर देने वाली कंपनी:- वह कोई भी वित्‍त संस्‍था हो सकती है जिसका मुख्‍य व्‍यापार उपकरण को पट्टे पर देना या ऐसे क्रियाकलापों का वित्‍त पोषण करना है।
  • किराया खरीद कंपनी:- यह कोई भी वित्‍तीय मध्‍यस्‍थ हो सकती है जिसका मुख्‍य व्‍यापार किराया खरीद लेन देन से संबंधित है या ऐसे लेन देनों का वित्‍त पोषण करना है।
  • ऋण कंपनी:- इसका अभिप्राय कोई भी वित्‍त संस्‍था, जिसका मुख्‍य व्‍यापार वित्‍त प्रदान करना र्है चाहे ऋण या अग्रिम देकर या अन्‍यथा किसी क्रियाकलाप के लिए अपने स्‍वयं के कार्यकलापों को छोड़कर (जिसमें उपकरण पट्टे पर देना या किराया खरीद कार्यकलाप शामिल नहीं हैं)
  • निवेश कंपनी:- कोई भी वित्‍तीय मध्‍यस्‍थ जिसका मुख्‍य व्‍यापार प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री करना है।
अब, इन एन बी एफ सी को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया हैं:-
  • परिसंपत्ति वित्‍तपोषण कंपनी (ए एफ सी)
  • निवेश कंपनी (आई सी) और
  • इन वर्गीकरण के तहत ए एफ सी को वित्‍तीय संस्‍था जिसका मुख्‍य कारोबार भौतिक परिसंपत्तियों का वित्त पोषण करना है, जो देश में विभिन्‍न उत्‍पादक/आर्थिक क्रियाकलापों को सहायता प्रदान करती है; के रूप में परिभाषित किया गया है।
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