बैंक के सदस्य देश | |
संक्षेपाक्षर | नया विकास बैंक, ब्रिक्स बैंक |
स्थापना | 15 जुलाई 2014 |
प्रकार | अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था |
वैधानिक स्थिति | संधि |
उद्देश्य | ब्रिक्स देशों व अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ढाँचागत विकास परियोजनाओं के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध करवाना। |
मुख्यालय | शंघाई, चीन |
सदस्यता
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ब्राज़ील |
रूस | |
भारत | |
चीन | |
दक्षिण अफ्रीका | |
महासचिव
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के वी कामत |
Leader | के वी कामत, अध्यक्ष |
पैतृक संगठन
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ब्रिक्स |
सम्बन्धन | ब्रिक्स |
बजट
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१ खरब $ |
ब्रिक्स देशों के समूह ने एक न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापना की है जिसको ब्रिक्स बैंक के नाम से जाना जाता है। ब्रिक्स देश में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। जो कि दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था वाले विकासशील देशों का एक समूह है। 2014 के ब्रिक्स सम्मेलन में ब्रिक्स नेताओं ने 100 अरब डॉलर की पूंजी से इस बैंक को शुरू किए जाने का निर्णय लिया था। फिलहाल इस बैंक की शुरुआत 50 अरब डॉलर से की गई है जिसको बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किया जाएगा। जिसमें ब्रिक्स देश के प्रत्येक सदस्य का योगदान 10 अरब डॉलर है।
जबकि संकट के समय एक-दूसरे को वित्तीय मदद देने के लिए एक कोष का गठन ब्रिक्स देशों ने किया है। जिसे फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पूल के नाम से जाना जाएगा जो इस बैंक के पास रहेगा। ब्रिक्स बैंक के लिए 100 अरब डॉलर के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पूल में चीन का योगदान 41 अरब डॉलर जबकि भारत, ब्राजील और रूस 18-18 अरब डॉलर और दक्षिण अफ्रीका का योगदान 5 अरब डॉलर का है।
ब्रिक्स बैंक की स्थापना ब्रिक्स समूह ने पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसी संस्थाओं के विकल्प के रुप में किया है। इस बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई शहर में होगा। भारत के केवी कामथ को इस बैंक का पहला अध्यक्ष बनाया गया है। जो कि पांच साल तक इसके प्रमुख के तौर काम करेंगे। ब्रिक्स बैंक अपना ऑपरेशन साल 2016 से शुरू कर देगा।
क्यों पड़ी इस बैंक की जरूरत
दरअसल ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी वर्चस्व वाले विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्था को टक्कर देने के लिए एक संस्था बनाने का निर्णय लिया। जिसके बाद पिछले ब्रिक्स सम्मेलन के अंतिम दिन ब्रिक्स बैंक बनाने की घोषणा दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में की गई। इसकी स्थापना पांच उभरते बाजारों के बीच अधिक से अधिक वित्तीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। क्योंकि दुनिया की कुल जीडीपी में ब्रिक्स देशों की भागीदारी 16 लाख करोड़ डॉलर है। जबकि ब्रिक्स देशों की आबादी दुनिया की कुल जनसंख्या का 41.4 फीसदी है। जहां विश्व बैंक में वोट का अधिकार पूंजी और शेयर के आधार पर तय होता है। इसके विपरीत ब्रिक्स बैंक में इसके प्रत्येक सदस्य देश को एक वोट का अधिकार दिया गया है। जबकि किसी भी देश को वीटो का अधिकार नहीं दिया गया है। ब्रिक्स बैंक की स्थापना का उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर पश्चिमी देशों के एकाधिकार को कम करना है।
क्या है ब्रिक्स बैंक का काम
ब्रिक्स बैंक का उद्देश्य ब्रिक्स देशों और अन्य उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की सतत विकास करना है। इसका अलावा उसके मूलभूत परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना है। इस बैंक का प्रमुख कार्य किसी देश की छोटे समय के नगदी की समस्या को दूर करना है। इसके साथ ही ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना और वैश्विक वित्तीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना शामिल है। इसके अलावा इस बैंक का काम सदस्य देशों के बीच वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके लिए ब्रिक्स बैंक सदस्य देशों को लोकल करेंसी में कर्ज भी देगी। यह सुविधा अगले साल अप्रैल में शुरू होगी और सदस्य देशों की कर्ज जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए 100 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व पूल की स्थापना की गई है। ताकि डॉलर लिक्विडिटी के साथ कोई समस्या आने पर इससे ब्रिक्स देशों की सहायता की जा सके।
भारत को इससे क्या होगा फायदा
ब्रिक्स बैंक की स्थापना के बावजूद वर्ल्ड बैंक अथवा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे संस्थाओं की भूमिका तो बनी रहेगी। लेकिन, इन संस्थाओं पर भारत की निर्भरता अवश्य ही कम हो जाएगी। यह बैंक कई प्रकार से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। क्योंकि यह बैंक बंदरगाह, सड़क एवं दूरसंचार नेटवर्क को उन्नत बनाने पर खास तौर पर ध्यान देगा। चूंकि भारत को इन तीन प्रमुख क्षेत्रों में बहुत ज्यादा फंड की जरूरत है। जिसके लिए वह ज्यादा से ज्यादा फंड इससे लेने का प्रयास करेगा।
इसके अलावा यदि कोई भारतीय कंपनी रूस में पेट्रोलियम संपत्ति को खरीदती है अथवा दक्षिण अफ्रीका में कोई अन्य ऊर्जा निवेश करती है तो यह बैंक उन्हें अतिरिक्त वित्तीय मदद देगा। साथ ही ब्रिक्स बैंक चीन और रूस की कंपनियों को भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जिसके भरोसे ब्रिक्स सदस्य देशों के बैंक एक-दूसरे के यहां ज्यादा खुलकर निवेश कर सकेंगे। इस तरह यदि हम देखें तो ब्रिक्स बैंक की अहम भूमिका विकासशील देशों में बुनियादी सुविधा के लिए फंड उपलब्ध कराना है जिसका फायदा भारत को मिलेगा।