बैंकिंग लोकपाल योजना के दायरे को बढ़ाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने अपने कार्यक्षेत्र में गलत बिक्री और मोबाइल बैंकिंग से संबंधित शिकायतों को शामिल किया है, जिसके लिए एक लाख रुपए तक के मुआवजे का प्रावधान किया गया है। यह संशोधित योजना 1 जुलाई से लागू होगी।
शीर्ष बैंक ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि आर.बी.आई. ने बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के दायरे को बढ़ा दिया है, ताकि बैंकों द्वारा बीमा/म्यूचुअल फंड/अन्य तीसरे पक्ष के निवेश उत्पादों की बिक्री से उत्पन्न होने वाली शिकायतों/कमियों को शामिल किया जा सके।
संशोधित योजना के तहत, ग्राहक भी शिकायत दर्ज कर सकेंगे कि बैंक ने भारत में मोबाइल बैंकिंग/इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाओं के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन नहीं किया है। इसके तहत बैंकिंग लोकपाल का वित्तीय अधिकार क्षेत्र 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है।
आर.बी.आई. ने कहा कि एक लाख रुपये तक के मुआवजे के अंतर्गत शिकायतकर्ता को हुए समय का नुकसान, शिकायतकर्ता द्वारा किया गया खर्च, शिकायतकर्ता का हुआ उत्पीडऩ और मानसिक परेशानी को शामिल किया गया है।
क्या है बैंकिंग लोकपाल
बैंकिंग लोकपाल योजना २००६ (Banking Ombudsman Scheme) भारतीय बैंकों के ग्राहकों की शिकायतों एवं समस्याओं को सुलझाने के लिये आरम्भ की गयी एक योजना है। इसके अन्तर्गत एक 'बैंकिंग लोकपाल' की नियुक्ति की जाती है जो एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी है। वैसे तो बैंकिंग लोकपाल योजना 1995 में लागू की गई थी, लेकिन 2002 एवं 2006 में इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए संशोधन किए गए, ताकि बैंकों द्वारा स्वच्छ, पारदर्शी, भेदभाव रहित और जिम्मेदारी पूर्वक बैंकिंग सेवाएं प्रदान की जा सकें। यह एक स्वशासी स्वतंत्र संस्था है जो बैंकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की निगरानी रखती है। ग्राहक किसी भी बैंक के अधिकारी व कर्मचारी की शिकायत व समय से सेवाएं न मिलने पर बैंकिंग लोकपाल को शिकायत डाक, ई मेल, आन लाइन दर्ज करा सकता है। निशुल्क की जाने वाली इस शिकायत का निस्तारण तीस दिन के अंदर किया जाता है। ग्राहकों की सुविधा व बैंकों में पारदर्शिता लाने के लिए यह योजना संचालित है।
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