बैंक लोन रिकवरी के लिए अब 90 दिन का इंतजार नहीं करेंगे. बैंक अब किसी खाते को नॉन-परफॉर्मिंग की श्रेणी में डालने से पहले कर्ज वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे. इसके लिए अब 90 दिन के इंतजार की कोई बाध्यता नहीं होगी.
आरबीआई के नियमों के मुताबिक, अगर किसी कर्ज की रकम की किस्त 90 दिनों से अधिक समय तक बकाया होती है तो वह नॉन-परफॉर्मिंग बन जाता है.
अब नए अध्यादेश के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि यह बैंकरप्सी नियम के मुताबिक डिफॉल्ट माना जाएगा. मतलब यह है कि अगर कर्ज के भुगतान में चूक होती है तो यह अगले दिन से डिफॉल्ट बन जाएगा.
इस प्रावधान को पिछले सप्ताह के अध्यादेश के जरिए बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट में जोड़ा गया है, जिससे बैंक कर्ज वसूलने की कार्रवाई की पहले से योजना बना सकेंगे. सरकारी बैंक देश में विशेष तौर पर डूबे हुए कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं.
इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है और उनकी कर्ज देने की क्षमता भी कम हो रही है. केंद्र सरकार ने अब ऑर्डिनेंस के तहत आरबीआई को बैंकों को इस तरह के लोन खातों के निपटारे का निर्देश देने की बात कही है.
केंद्र सरकार ने कहा कि वह बैंकिंग सिस्टम में बैड लोन की समस्या का जल्द समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है.
अगर कोई ऐसा मामला होता है जिसमें बैंकों को किसी डिफॉल्ट करने वाली कंपनी से बकाया रकम की वसूली हेतु प्रबंधन में बदलाव सहित अन्य उपायों पर विचार करने की जरूरत लगती है, तो उन्हें इसके लिए 90 दिनों का इंतजार नहीं करना होगा
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बैंकों के एनपीए को लेकर अध्यादेश की मंज़ूरी दी :
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डूबे कर्ज की समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अधिक अधिकार देने से संबंधित बैंकिंग अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.
इसके साथ ही बैंकिंग रेगुलेशन कानून में बदलाव को भी मंजूरी मिल गई है. माना जा रहा है कि सरकार नए गैर निष्पादित आस्तिया (एनपीए) अध्यादेश का ब्योरा जारी करेगी.
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 35ए में दो नए प्रावधान जोड़े गए हैं. एक प्रावधान के तहत आर.बी.आई. को ये अधिकार दिया गया है कि वो बैंकों के डिफॉल्टर के खिलाफ इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई करे.
दूसरे प्रावधान के तहत आर.बी.आई. को अधिकार दिया गया है कि वो तय समय सीमा में एनपीए से निपटने के लिए बैंकों को जरूरी निर्देश जारी कर सके.
हालांकि, आरबीआइ ने हाल के वर्षों में फंसे हुए ऋणों से निपटने के लिए कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन व्यवस्था (सीडीआर), ज्वाइंट लेंडर्स फोरम के गठन, फंसे ऋणों की वास्तविक तसवीर पेश करने के लिए बैंकों पर दबाव बनाने और डिफॉल्टरों पर नियंत्रण के लिए स्ट्रेटजिक डेट रीस्ट्रक्चरिंग (एसडीआर) स्कीम जैसे ठोस कदम उठाये हैं, लेकिन इनके अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं आ सके हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 मई 2017 को गैर निष्पादित आस्तिया (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दी थी. एनपीए की समस्या बैंकिंग क्षेत्र के लिए बड़ा संकट बनी हुई है.