देश में विभिन्न लोक कल्याण की योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात और है कि आधार अधिनियम में आधार कार्ड के लिए पंजीकरण स्वैच्छिक ही है अनिवार्य नहीं। तो फिर क्यों बनाया जा रहा है इसे अनिवार्य? सर्वोच्च न्यायालय भी इसे जबरन लादने के पक्ष में नहीं है, ऐसे में क्यों है हड़बड़ी इसे अनिवार्य बनाने की? क्या यह नागरिकों की निजी जानकारियां सार्वजनिक नहीं करता? क्या यह भारतीयों के मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता?
इसी पर बड़ी बहस…
इसी पर बड़ी बहस…
यह नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है (अरुणा राय)
देश में सभी नागरिकों को आधार कार्ड की अनिवार्यता, जरूरत के साथ-साथ पहचान का दस्तावेज भी बन गया है। आधार कार्ड का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार 1 जुलाई 2017 से आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार कार्ड नम्बर को अनिवार्य करने जा रही है। यह तो तब है जब अक्टूबर 2015 और बाद में सितम्बर 2016 में सर्चोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि आधार स्वैच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं।
आयकर विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता व उत्तरदायित्व का अभाव देखते हुए आधार का थोपा जाना बहुत ही दुखद है। आधार अधिनियम के अनुसार आधार पंजीकरण स्वैच्छिक होता है। आयकर अधिनियम में संशोधन कर इसे पिछले दरवाजे से अनिवार्य करने का प्रयास किया जा रहा है।
लोकतंत्र के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय जो देश के नागरिकों के जीवन से जुड़ा है बिना किसी विचार-विमर्श या बहस के पारित कर दिया गया। इसे सरकार की मनमानी ही कहा जाएगा। आधार छात्रवृत्ति पाने के लिए, गैस कनेक्शन के लिए, पासपोर्ट, ईपीएफ से पेंशन, सब्सिडी आदि लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य है।
संचार माध्यमों ने सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप के विचार को बढ़ावा दिया। जैसा कि राजस्थान में देखा गया कि अधिकारियों ने आधार से फर्जी लाभार्थियों को चिन्हित करने के बजाय वंचितो को ही योजना से बाहर कर दिया। इस उदाहरण में आधार का दुरुपयोग भ्रष्टाचारियों की उस प्रकृति को प्रतिबिम्बित करता है जिसमें वे किसी भी तकनीक का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए कर सकते हैं। आधार का कल्याणकारी सेवाओं से सभी सेवाओं में विस्तार ‘बिग ब्रदर’ की पैनी निगाह की यादें ताजा कर देता है।
खौसतौर पर तब जबकि सरकार हर नागरिक पर तकनीक के जरिए नजर रखना चाहती है। यह संविधान द्वारा प्रदत्त निजता के अधिकार का उल्लंघन है और सूचना के अधिकार के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है। सूचनाओं का यह केन्द्रीकरण व संग्रहण पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों को नकारता है।
पेन कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस, पासपोर्ट इत्यादि देश को इतने सारे पहचान स्रोतों की आवश्यकता क्यों है? एक से अधिक पहचान की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि ये व्यक्ति के राज्य के साथ विभिन्न सम्बंधों को दर्शाते हैं। सभी सूचनाओं का एक जगह संग्रहण कर, एक पहचान से जोडऩा बहुत खतरनाक हो सकता है। कोई भी दुर्भावना से इन सूचनाओं का दुरुपयोग कर सकता है। और तब, नागरिकों के मूल अधिकारों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
सुरक्षित है तकनीक, नहीं चुरा सकते गुप्त सूचनाएं (प्रो.एस.एस. आचार्य)
आधार पूर्ण सुरक्षित तकनीक पर आधारित व्यक्ति की पहचान है। हर व्यक्ति समाज का हिस्सा होता है और उस समाज के हिस्से में उसकी विशेष पहचान जरूरी होती है। आधार व्यक्ति को वही विशेष पहचान दिलाता है। सामाजिक पहचान उजागर होने के डर से उससे बचना ठीक नहीं कहा जा सकता। उदाहरण के तौर पर हमारे देश में जनगणना कानून बना हुआ है। जनगणना कानून के तहत देश में हर दस साल में जनगणना की जाती है।
जनगणना के समय व्यक्ति की उम्र, शिक्षा, धर्म आदि की जानकारी दर्ज की जाती रही हैं और, इसमें व्यक्ति जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता है। इसी प्रकार आधार से भी छूट नहीं ली जानी चाहिए। हालांकि आधार की योजना के समय इसे स्वैच्छिक ही माना गया था। आधार से बायोमैट्रिक जानकारी ली जा रही है। तकनीक का विकास तेजी से हो रहा है और इस तकनीक विकास का सही उपयोग करने के लिए विशेष पहचान जरूरी हो जाती है। आधार विशिष्ट पहचान के रूप में कार्य कर रहा है इसलिए आधार का विरोध गलत है। इससे सरकार को प्रशासन की स्थिति सुधारने में मदद मिलती है।
आधार के जरिए कई प्रकार की जालसाजी रोकी जा सकती है। यही नहीं इससे कई प्रकार अपराधों पर नियंत्रण में मदद मिलेगी। हाल में आधार को पैन कार्ड से जोडऩे का फैसला लिया गया है। इससे कर चोरी और अन्य आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे कालेधन को भी रोकने में मदद मिलेगी।
फर्जी तरीके से नकली पेन कार्ड बनाने की शिकायतें अकसर आती रही हैं। इन नकली पेन कार्डों का इस्तेमाल कर चोरी और कालेधन को खपाने में किया जाता है। कालेधन का इस्तेमाल आतंकियों की मदद करने की भी जानकारी सामने आई थी। आधार से इन चीजों पर लगाम लगाई जा सकेगी। आधार का सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में होने वाले घपलेबाजी की मात्रा को बहुत कम किया जा चुका है। लाखों फर्जी राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड रद्द किए जा चुके हैं।
सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार आधार कार्ड को लागू किए जाने के बाद विभिन्न जनकल्याण योजनाओं में दिए जाने वाले अनुदान में पचास हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। इसके विरोध में प्रमुख तर्क यही दिया जा रहा है कि इसकी सूचनाओं के दुरुपयोग होने का खतरा है। और कई निजी कंपनियां आधार से जोड़े जाने की मांग रही हैं। सूचनाएं सार्वजनिक होने से रोकने का काम सरकार कर सकती है और इसके पुख्ता प्रबंध किए जाने चाहिए। निजी कंपनियों द्वारा आधार के इस्तेमाल के लिए उनको सीमित जानकारियों के अधिकार देकर इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
सौजन्य – पत्रिका।