संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना- 
जब प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति हुई तो विश्व के सारे देशों के सामने विश्व में शांति व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती आई, और शांति व्यवस्था को स्थापित करने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई| लेकिन 1939 इसवी में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया, और इस युद्ध को रोकने में राष्ट्र संघ पूरी तरह से असफल सिद्ध हुआ| तत्पश्चात विश्व के समस्त देशों ने एक ऐसे संघ की कल्पना की जो कि भविष्य में समस्त राष्ट्र को नियंत्रित करें और और ऐसे युद्धों से बचाए| फल स्वरुप अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने, राष्ट्रों द्वारा विश्व से निर्धनता, विभिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करने, बीमारियों एवं अशिक्षा को खत्म करने हेतु तथा मानवाधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति समान आदर भाव को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना (Sanyukt Rashtra Sangh ki sthapna) 24 अक्टूबर 1945 को की गई| संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट, रूस के राष्ट्रपति जोसफ स्टालिन एवं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को जाता है| 26 जून 1945 को अमेरिका के प्रसिद्ध नगर सैन फ्रांसिस्को में एक सम्मेलन हुआ और इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन की नींव पड़ी| इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य एवं कार्य के संदर्भ में एक घोषणा पत्र तैयार किया गया, इस घोषणा पत्र पर 51 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर करके 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ को स्थापित किया गया| इस समय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है|
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संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत –
घोषणापत्र के अनुच्छेद 2 में संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का वर्णन मिलता है जिसमें वर्णित कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं-
1- सभी सदस्य राष्ट्र एक समान और संप्रभुता संपन्न हैं |
2- सभी सदस्य राष्ट्र संघ के प्रति अपने उत्तरदायित्व और कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करेंगे|
3- सदस्य राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेंगे
4- सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र के प्रति ना तो बल प्रयोग की धमकी देंगें, और ना ही शक्ति का प्रयोग करेंगे|
5- सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में सहायता करेंगे और उन राष्ट्रों की सहायता नहीं करेंगे जिनके विरुद्ध संघ ने कोई कार्यवाही की हो|
6- कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र किसी राष्ट्र के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा|
1- सभी सदस्य राष्ट्र एक समान और संप्रभुता संपन्न हैं |
2- सभी सदस्य राष्ट्र संघ के प्रति अपने उत्तरदायित्व और कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करेंगे|
3- सदस्य राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेंगे
4- सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र के प्रति ना तो बल प्रयोग की धमकी देंगें, और ना ही शक्ति का प्रयोग करेंगे|
5- सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में सहायता करेंगे और उन राष्ट्रों की सहायता नहीं करेंगे जिनके विरुद्ध संघ ने कोई कार्यवाही की हो|
6- कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र किसी राष्ट्र के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा|
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता-
संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता को ग्रहण करने के लिए कुछ नियम एवं शर्तों को बनाया गया और विश्व का कोई भी राष्ट्र जो इन नियमों और शर्तों को मारने का आश्वासन देता है वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन सकता है| किसी भी देश को सदस्यता के लिए आवेदन करना पड़ता है एवं आवेदन पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से प्रदान किया जाता है|अगर किसी देश में सदस्यता के लिए आवेदन किया है तो संयुक्त राष्ट्र के अंग उस पर विचार करते हैं और उनकी स्वीकृति प्रदान होने के बाद उस देश को सदस्यता पत्र दे दिया जाता है| परंतु इसके लिए परिषद के स्थायी सदस्यों की सहमति एवं महासभा के दो तिहाई (⅔) बहुमत का समर्थन आवश्यक है| सदस्यता प्राप्ति के समय सदस्यता प्राप्त करने वाले देश को कुछ नियमों एवं शर्तों पर हस्ताक्षर करना पड़ता है और अगर वह इनका उल्लंघन करता है तो उस संयुक्त राष्ट्र संघ (Sanyukt Rashtrasangh) उसके विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है|
संयुक्त राष्ट्र संघ के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य-
चार्टर- चार्टर इसका संविधान है जिसमें 10000 शब्द 111 धाराएं एवं 19 अध्याय हैं, 26 जून 1945 को चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे|
संयुक्त राष्ट्र संघ का ध्वज- ध्वज की पृष्ठभूमि हल्की नीली है जिस पर ऊपर से खुली हुई दो वक्राकार जैतून की शाखाओं के बीच में गोलाकार रूप में विश्व का मानचित्र प्रदर्शित है|
इसका नाम अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने दिया था|
मुख्य कार्यकारी भाषाएं- इसकी प्रमुख कार्यकारी भाषाएं अंग्रेजी एवं फ्रेंच हैं|
मान्यता प्राप्त भाषाएं- अंग्रेजी एवं फ्रेंच के अतिरिक्त चीनी, स्पेनिश, रूसी एवं अरबी भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं|
इसका प्रमुख कार्यकारी अधिकारी महासचिव होता है|
निषेधाधिकार या वीटो पावर- यदि इसका कोई भी स्थाई सदस्य किसी प्रस्ताव के विरोध में मतदान कर दे तो वह प्रस्ताव निषिद्ध हो जाता है, जिसे वीटो पावर कहा जाता है|
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संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव
महासचिव
के नाम
|
महासचिव
का कार्यकाल
|
ट्रीगवी
ली (नार्वे)
|
सन 1946 ईस्वी से 1952 तक
|
डैग
हैमरस्क्जोंल्ड (स्वीडन)
|
सन 1953 से लेकर 1961
|
यू.
थांट (म्यांमार)
|
1961 से 1971 ईसवी तक
|
कुर्त
वॉल्डहाइम (ऑस्ट्रिया)
|
1 जनवरी 1972 – 31 दिसम्बर 1981
|
ज़ेवियर
पेरिज डी कुईयार ( पेरू)
|
1 जनवरी 1982 – 31 दिसम्बर 1991
|
बुतरस
घाली (मिस्र)
|
1 जनवरी 1992 – 31 दिसम्बर 1996
|
कोफ़ी
अन्नान ( घाना )
|
1 जनवरी 1997 – 31 दिसम्बर 2006
|
बान की
मून (दक्षिण कोरिया)
|
1 जनवरी 2007– 31 दिसम्बर 2016
|
एंटोनियो
गुटेरेस (पुर्तगाल)
|
1 जनवरी 2017 – वर्तमान
|
संयुक्त राष्ट्र के अंग-
संयुक्त राष्ट्रसंघ ( Sanyukt Rashtrasangh ) के 6 अंग है जो कि निन्न वत है-
1- महासभा- संयुक्त राष्ट्र की एक महासभा है, इस सभा में सभी इच्छुक रास्तों को बिना भेदभाव के सदस्यता दी जाती है| प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को इसमें अपने 5 प्रतिनिधि भेजने का अधिकार है, किंतु किसी भी निर्णायक मतदान के अवसर पर उन पांचों का केवल एक ही मत माना जाता है|
2- सुरक्षा परिषद- सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग है| सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं दिन में पांच स्थाई और 10 अस्थाई हैं| संयुक्त राज्य अमेरिका, UK, फ्रांस, रूस तथा चीन इस संस्था के पांच स्थाई सदस्य हैं| अस्थाई सदस्यों का चुनाव महासभा द्वारा 2 वर्षों के लिए होता है| किसी भी वाद विवाद का अंतिम निर्णय पांच स्थाई सदस्यों की सहमति एवं चार अस्थाई सदस्यों की सहमति के आधार पर लिया जाता है, यदि अस्थाई सदस्य में से किसी एक सदस्य का किसी विषय पर आज स्वीकृति हो जाती है तो कोई भी निर्णय रद्द हो जाता है अस्थाई सदस्यों के अधिकार को निषेध अधिकार (Veto Power) कहते हैं|
3- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद
4- संरक्षण परिषद
5- सचिवालय
6-अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
4- संरक्षण परिषद
5- सचिवालय
6-अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
Important Points to Remember
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