श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से इसरो के सबसे ताकतवर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी वी मार्क 3 डी-1 का 05 जून 2017 को सफल परीक्षण किया गया.
मिशन जीएसएलवी वी मार्क 3 डी-1 के बारे में-
मिशन जीएसएलवी वी मार्क 3 डी-1 के बारे में-
- जीएसएलवी वी मार्क 3 डी-1 का वजन 200 हाथियों के बराबर है.
- इसे आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया गया.
- रॉकेट ने एक हाथी के बराबर वजनी देश के सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-1 को 16 मिनट में स्पेस ऑर्बिट में पहुंचाया.
- इससे आने वाले कुछ सालों में भारत में हाई स्पीड इंटरनेट की शुरुआत हो जाएगी. इसरो के अनुसार आने वाले समय में नए जीएसएलवी रॉकेट से इंसानों को स्पेस की सैर कराई जा सकती है.
- यह अपने साथ देश के सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-19 (वजन 3136 किग्रा) को स्पेस में लेकर गया.
जीसैट-19 के बारे में-
- जीसैट-19 देश में तैयार सबसे वजनी सैटेलाइट है.
- इसमें मॉडर्न प्लेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. यह हीट पाइप, फाइबर ऑप्टिक जायरो, माइक्रो-मेकैनिकल सिस्टम्स एक्सीलेरोमीटर, केयू-बैंड टीटीसी ट्रांसपोंडर और लीथियम आयन बैटरी से लैस है.
- जीसैट-19 पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.
जीएसएलवी के बारे में-
- जीएसएलवी इसरो का सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. जिसका पूरा नाम जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है.
- इस रॉकेट को इसरो ने डेवलप किया है.
- इसके माध्यम से 2001 से अब तक 11 बार सैटेलाइट स्पेस में भेजे जा चुके हैं.
- आखिरी उड़ान 5 मई, 2017 को भरी गई, तब यह जीसैट-9 को अपने साथ लेकर रवाना हुआ था.
जीएसएलवी मार्क 3 के बारे में-
- जीएसएलवी मार्क 3 की लॉन्चिंग को स्पेस टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देखा जा रहा है.
- भारत दूसरे देशों पर डिपेंड हुए बिना बड़े और भारी सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग देश में ही कर सकेगा.
- यह स्पेस में 4 टन तक के वजन वाले सैटेलाइट्स को ले जा सकता है.
- इसकी क्षमता मौजूदा जीएसएलवी मार्क 2 की दो टन की क्षमता से दोगुना है.
- धरती की कम ऊंचाई वाली ऑर्बिट तक 8 टन वजन ले जाने की ताकत रखता है.
- जो भारत के क्रू को लेकर जाने के लिए लिहाज से काफी है.
- इसरो पहले ही स्पेस में 2 से 3 मेंबर भेजने का प्लान बना चुका है.
- इसके लिए करीब 4 अरब डॉलर के फंड मिलने का इंतजार है.
फैट बॉय सैटेलाइट-
- जीएसएलवी मार्क 3 का वजन 630 टन है, जो 200 हाथियों (एक हाथी-करीब 3 टन) के बराबर है. ऊंचाई करीब 42 मीटर है. इसका वजन 5 पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है. इसीलिए इसे फैट ब्वॉय सैटेलाइट कहा जा रहा है. इसको बनाने में 160 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.
भारत को लाभ-
- जीएसएलवी वी मार्क 3 की पहली उड़ान कामयाबी होने से स्पेस में इंसान को भेजने का भारत का सपना जल्द पूरा हो सकता. इसरो का यह जम्बो रॉकेट इंसानों को स्पेस में लेकर जाने की कैपेसिटी रखता है.
- इसरो के चेयमैन एएस. किरण कुमार के अनुसार यदि 10 साल या कम से कम 6 कामयाब लॉन्चिंग में सब कुछ ठीक रहा तो इस रॉकेट को 'धरती से भारतीयों को स्पेस में पहुंचाने वाले’ सबसे अच्छे ऑप्शन के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
अन्य देश-
जीएसएलवी मार्क 3 की कामयाबी के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम वाला दुनिया का चौथा देश बनने के और करीब पहुंच जाएगा.
जीएसएलवी मार्क 3 की कामयाबी के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम वाला दुनिया का चौथा देश बनने के और करीब पहुंच जाएगा.