अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस को पेरिस जलवायु समझौते से अलग कर लिया। दिसंबर 2015 में कई दिनों की गहन बातचीत के बाद पेरिस जलवायु समझौते की नींव रखी गई थी। 195 देश इसके लिए राजी हो चुके हैं। भारत ने 2016 में इसके लिए हामी भरी थी। भारत से पहले 61 देश इस समझौते के लिए राजी हो चुके थे जो कि करीब 48 प्रतिशत कार्बन का उत्सर्जन करते हैं। जानिए क्या है यह समझौता
क्या है पेरिस जलवायु समझौता: इस समझौते में जो लक्ष्य तय किया गया है उसके अंतर्गत इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने की हर संभव कोशिश की जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2 डिग्री से ऊपर जाने पर समुद्र का स्तर बढ़ने लगेगा, मौसम में भयकंर बदलाव देखने को मिलेगा और पानी और खाने की किल्लत भी पड़ सकती है। हालांकि, उन लोगों की भी कमी नहीं है जो कहते हैं कि दो डिग्री के लक्ष्य से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
रास्ता साफ नहीं: दो डिग्री के लक्ष्य को तय करके कहा गया कि इसतक जल्द से जल्द पहुंचना होगा। लेकिन इसतक पहुंचने का कोई साफ रास्ता नहीं तय किया गया। मतलब यह पता ही नहीं है कि देशों को इसके लिए करना क्या होगा? अगर यूएस की बात करें तो उसे 2025 तक कार्बन उत्सर्जन को 26 से 28 प्रतिशत तक कम करना होगा। ट्रंप की ताजा पॉलिसी में ऐसा होना असंभव माना जाता है। तय हुआ है कि 2020 में सभी देश बताएंगे कि उन्होंने अबतक क्या-क्या कदम उठाएं हैं। इसको तोड़ने पर क्या सजा मिलेगी यह भी साफ नहीं है।
विकासशील देशों की मदद: ऐसा कहा जाता है कि अमीर देश ज्यादा ईंधन का उत्सर्जन करके अमीर बने हैं। और अब समझौते के जरिए पिछड़े देशों को ऐसे ईंधन का उपयोग करने से रोका जा रहा है। इससे कई देशों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में अमेरिका जैसे अमीर देशों को कहा गया कि वह 2020 तक पिछड़े देशों की मदद के लिए वे हर साल 100 बिलियन डॉलर भेजते रहें। साथ ही यह रकम वक्त के हिसाब से बढ़ाई भी जा सकती है। हालांकि, यह भी एक सुझाव के तौर पर है ऐसा करना जरूर नहीं है।
ट्रंप क्यों हुए अलग: ट्रंप ने यूएस को पेरिस समझौते से अलग करते हुए कहा, ‘हमारे नागरिकों के संरक्षण के अपने गंभीर कर्तव्यों को पूरा करने के लिए अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते से हट जाएगा…हम उससे हट रहे हैं और फिर से बातचीत शुरू करेंगे।’ ट्रंप ने कहा कि वह चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते में अमेरिकी हितों के लिए एक उचित समझौता हो।