मेरा नाम अनिल कुमार कुमावत S/o मेघाराम कुमावत है |
मैं जिला सीकर के अढ़वास गाँव का रहने वाला हूँ|
मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता , पुनीत सर , कपिल सर और धींगड़ा क्लास्सेज़ के समस्त स्टाफ को देता हूँ |
मुझे मेरी तीन साल की डिग्री में 6 साल लग गये ये मैंने कभी नहीं सोचा था के बैंक जॉब करूँगा पर धींगड़ा क्लास्सेज़ से पढाई कर के सर के Motivation से मैं आज बैंक में ऑफिसर की पोस्ट पर चयनित हुआ हूँ|
मैं 22 जून 2016 को घर से Promise कर के आया था की मैं जॉब लगने से पहले घर नी आऊंगा और 10 मार्च 2017 को मेरा सिलेक्शन हो जाने के बाद हि मैं घर गया था | इस सफलता का पूरा श्रेय मैं धींगड़ा क्लासेज को देता हूँ , जिसकी बदोलत मेरा Promise पूरा हुआ |
पुरे भारत में बैंकिंग की तेयारी में धींगड़ा क्लास्सेज़ से बड़ कर दूसरा कोई संसथान नहीं हैं |
"मुश्किलें दिल के इरादे अजमाती हैं, सवप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं ;
होंसला मत हार गिर ऐ मुसाफिर , क्योंकि ठोकरें हि इंसान को चलना सिखाती हैं "
मैं जिला सीकर के अढ़वास गाँव का रहने वाला हूँ|
मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता , पुनीत सर , कपिल सर और धींगड़ा क्लास्सेज़ के समस्त स्टाफ को देता हूँ |
मुझे मेरी तीन साल की डिग्री में 6 साल लग गये ये मैंने कभी नहीं सोचा था के बैंक जॉब करूँगा पर धींगड़ा क्लास्सेज़ से पढाई कर के सर के Motivation से मैं आज बैंक में ऑफिसर की पोस्ट पर चयनित हुआ हूँ|
मैं 22 जून 2016 को घर से Promise कर के आया था की मैं जॉब लगने से पहले घर नी आऊंगा और 10 मार्च 2017 को मेरा सिलेक्शन हो जाने के बाद हि मैं घर गया था | इस सफलता का पूरा श्रेय मैं धींगड़ा क्लासेज को देता हूँ , जिसकी बदोलत मेरा Promise पूरा हुआ |
पुरे भारत में बैंकिंग की तेयारी में धींगड़ा क्लास्सेज़ से बड़ कर दूसरा कोई संसथान नहीं हैं |
"मुश्किलें दिल के इरादे अजमाती हैं, सवप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं ;
होंसला मत हार गिर ऐ मुसाफिर , क्योंकि ठोकरें हि इंसान को चलना सिखाती हैं "
पुनीत सर के लिए -
"तूफानों में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं ;
मदद वाले हाथ बड़ी रहमत से मिलते हैं ;
यूँ तो मिल जाते हैं हजारों गुरु ज्ञानी पर;
पुनीत सर जैसे गुरु बड़ी मुश्किल से मिलते हैं "
धन्यवाद