कजाखस्तान
राजधानी - अस्ताना
मुद्रा - तेंगे (Tenge)
प्रेसिडेंट - नूरसुल्तान नज़रबायेव (Nursultan Nazarbayev)
यहां शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की शुक्रवार को मीटिंग हुई। इस मीटिंग में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ एक साथ मंच पर दिखे। मोदी ने अपनी स्पीच में भारत को मेंबरशिप देने के लिए सभी एससीओ मेंबर्स का आभार जताया। मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया, लेकिन एक भी बार पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया। उधर, नवाज शरीफ ने 2 बार भारत का नाम लिया और बधाई दी। बता दें कि दोनों देशों को इस बार एससीओ में मेंबरशिप दी गई है। बता दें कि 6 देशों के इस संगठन की शुरुआत 2001 में हुई थी। 2015 में रूस के उफा में एससीओ समिट हुई थी। इसमें भारत-पाकिस्तान को इस ऑर्गनाइजेशन में परमानेंट मेंबर के तौर पर शामिल किए जाने का प्रपोजल पास किया गया था।मोदी ने कहा-आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा...
-मोदी ने कहा- "एससीओ हमारे राजनैतिक और आर्थिक सहयोग की मुख्य आधारशिला है। एससीओ देशों में हमारी सहभागिता के कई आयाम हैं। एनर्जी, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, सिक्युरिटी, मिनरल, कैपेसिटी बिल्डिंग, डेवलपमेंट पार्टनरशिप, ट्रेड इसके अहम फैक्टर्स हैं। भारत को एससीओ की मेंबरशिप निश्चय ही हमारे सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। एससीओ देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत की प्रायोरिटी है। हम इसका समर्थन भी करते हैं। हम चाहते हैं कि कनेक्टिविटी हमारी भावी पीढ़ी और समाजों के बीच सहयोग का मार्ग प्रशस्त करे।"
- "आतंकवाद मानव अधिकारों और मानव मूल्यों के सबसे उल्लघंनों में से एक है। आतंकवाद और अतिवाद के खिलाफ संघर्ष एससीओ के सहयोग का अहम भाग है। मुद्दा चाहे रेडिकलाइजेशन का हो, आतंकवादियों की भर्ती का हो, उनकी ट्रेनिंग का हो या उनके फाइनेंस का। जब तक हम सभी देश मिलकर इस दिशा में कोशिशें नहीं करेंगे। तब तक प्रॉब्लम्स का हल नहीं निकलेगा। इस बारे में SCO की कोशिशें सराहनीय हैं। यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को एक नई दिशा और मजबूती देगा।"
2001 में बना था SCO- बता दें कि एससीओ एक पॉलिटिकल और सिक्युरिटी ग्रुप है। इसका हेडक्वार्टर बीजिंग में है। यह 2001 में बनाया गया था। चीन, रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान इसके परमानेंट मेंबर हैं।
- यह ऑर्गनाइजेशन खासतौर पर मेंबर कंट्रीज के बीच मिलिट्री को-ऑपरेशन के लिए बनाया गया है। इसमें खुफिया जानकारियों को साझा करना और सेंट्रल एशिया में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना शामिल है।
- फिलहाल अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया एससीओ में सुपरवाइजर कंट्री हैं।
- यह ऑर्गनाइजेशन खासतौर पर मेंबर कंट्रीज के बीच मिलिट्री को-ऑपरेशन के लिए बनाया गया है। इसमें खुफिया जानकारियों को साझा करना और सेंट्रल एशिया में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना शामिल है।
- फिलहाल अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया एससीओ में सुपरवाइजर कंट्री हैं।
भारत और पाकिस्तान को मेंबर बनाने केलिए दो साल पहले शुरू हुई थी प्रॉसेस
-SCO में 2005 से भारत ऑब्जर्वर की हैसियत से शामिल होता रहा है। 2014 में इसकी फुल मेंबरशिप के लिए अप्लाई किया था।
- 2015 में रूस के उफा में एससीओ समिट हुई थी। इसमें भारत-पाकिस्तान को परमानेंट मेंबर के तौर पर शामिल किए जाने का प्रपोजल पास किया गया था।
- 2016 में एसीओ समिट उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुई थी। इसमें भारत और पाकिस्तान के एससीओ में शामिल होने के लिए कमिटमेंट मेमोरेंडम पर साइन किए थे। चीन ने उम्मीद जताई है कि एससीओ का परमानेंट मेंबर बनने से भारत-पाक के बाइलेटरल रिलेशन भी सुधरेंगे।
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात?
-शुक्रवार सुबह मोदी और चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की भी मुलाकात हुई। दोनों लीडर्स के बीच चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में भारत की मेंबरशिप को लेकर चर्चा हुई। दोनों देशों ने कई मुद्दों पर तनाव कम करने को लेकर बात की।
- हाल ही में भारत ने बीजिंग में OBOR समिट का बायकॉट किया था। भारत ने इसे अपनी सॉवेरनिटी का मामला बताया था।
- भारत पहले भी पाक की ग्वादर से चीन के शिनजियांग तक जाने वाले चीन-पाक कॉरिडोर का विरोध करता रहा है। भारत का आरोप है कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के गिलगित-बाल्तिस्तान से होकर गुजरेगा। CPEC वन बेल्ट-वन रोड का ही हिस्सा है। चीन ने भारत से OBOR समिट में शामिल होने की अपील की भी थी।
- भारत पहले भी पाक की ग्वादर से चीन के शिनजियांग तक जाने वाले चीन-पाक कॉरिडोर का विरोध करता रहा है। भारत का आरोप है कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के गिलगित-बाल्तिस्तान से होकर गुजरेगा। CPEC वन बेल्ट-वन रोड का ही हिस्सा है। चीन ने भारत से OBOR समिट में शामिल होने की अपील की भी थी।
NSG पर क्या है चीन का रवैया?
- चीन भारत की NSG मेंबरशिप का भी विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि अगर किसी देश ने नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) पर साइन नहीं किए हैं तो उसे मेंबरशिप नहीं दी जानी चाहिए।
- वहीं, भारत कह चुका है कि फ्रांस को भी बिना NPT पर साइन किए हुए मेंबरशिप दी गई थी। चीन यूएन में मसूद अजहर को आतंकी घोषित किए जाने का भी विरोध करता रहा है।
- चीन भारत की NSG मेंबरशिप का भी विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि अगर किसी देश ने नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) पर साइन नहीं किए हैं तो उसे मेंबरशिप नहीं दी जानी चाहिए।
- वहीं, भारत कह चुका है कि फ्रांस को भी बिना NPT पर साइन किए हुए मेंबरशिप दी गई थी। चीन यूएन में मसूद अजहर को आतंकी घोषित किए जाने का भी विरोध करता रहा है।