भाजपा के दलित नेता 71 वर्षीय रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए. उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 3.34 लाख मतों के अंतर से हराया. इससे पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल थे. वह उत्तर प्रदेश से सम्बंधित दूसरे राष्ट्रपति हैं. पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा भी उत्तर प्रदेश से थे.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के रामनाथ कोविंद को 702044 मत और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 367314 मत हासिल हुए. रामनाथ कोविंद को 522 सांसदों का समर्थन मिला है, मीरा कुमार को 225 जबकि 21 सांसदों के मत रद्द किए गए. रामनाथ कोविंद को 66 फीसदी वोट मिले. विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 34 फीसदी वोट मिले.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के रामनाथ कोविंद को 702044 मत और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 367314 मत हासिल हुए. रामनाथ कोविंद को 522 सांसदों का समर्थन मिला है, मीरा कुमार को 225 जबकि 21 सांसदों के मत रद्द किए गए. रामनाथ कोविंद को 66 फीसदी वोट मिले. विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 34 फीसदी वोट मिले.
रामनाथ कोविंद के बारे-
• रामनाथ कोविंद का जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ.
• रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई.
• रामनाथ कोविंद ने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की.
• गवर्नर ऑफ बिहार की वेबसाइट के अनुसार रामनाथ कोविंद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे.
• 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल में थे.
• दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इन्होंने 16 साल तक प्रैक्टिस की. 1971 में दिल्ली बार काउंसिल के लिए नामांकित हुए.
समाज सेवा-
• रामनाथ कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है. छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया.
• रामनाथ कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है. छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया.
• रामनाथ कोविंद गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं. 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र के महासभा को संबोधित किया. कोविंद ने कई देशों की यात्रा भी की है.
• रामनाथ कोविद ने अपने कानपुर वाले मकान को बारातशाला के रूप में दान कर दिया.
• वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रह चुके हैं.
सिविल सर्विसेज में चयन-
आईएएस परीक्षा में उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता मिली. मुख्य सेवा के स्थान पर एलायड सेवा में चयन होने पर उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी नहीं की.
राजनितिक कैरियर-
• रामनाथ कोविंद आदिवासी, होम अफ़ेयर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, क़ानून न्याय व्यवस्था और राज्यसभा हाउस कमेटी के भी चेयरमैन भी रहे.
सिविल सर्विसेज में चयन-
आईएएस परीक्षा में उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता मिली. मुख्य सेवा के स्थान पर एलायड सेवा में चयन होने पर उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी नहीं की.
राजनितिक कैरियर-
• रामनाथ कोविंद आदिवासी, होम अफ़ेयर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, क़ानून न्याय व्यवस्था और राज्यसभा हाउस कमेटी के भी चेयरमैन भी रहे.
• रामनाथ कोविंद इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री रह चुके हैं.
• वह बीजेपी दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे.
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से नाता-वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव रहे. बाद में वे बीजेपी से जुड़े. पार्टी की टिकट से वे दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर वे वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे.
सक्रिय सांसद-
1994 में कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए. वर्ष 1994 से 2006 के बीच वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. वे कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं. 12 साल की सांसदी में कोविंद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया. ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविंद ने ग़रीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी.
राज्यपाल
2015 में बिहार के राज्यपाल चुने गए. इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर तालमेल रहा. यही वजह रही कि जब एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद की उम्मीदवारी की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने बेझिझक उनको समर्थन देने की घोषणा की.
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से नाता-वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव रहे. बाद में वे बीजेपी से जुड़े. पार्टी की टिकट से वे दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर वे वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे.
सक्रिय सांसद-
1994 में कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए. वर्ष 1994 से 2006 के बीच वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. वे कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं. 12 साल की सांसदी में कोविंद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया. ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविंद ने ग़रीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी.
राज्यपाल
2015 में बिहार के राज्यपाल चुने गए. इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर तालमेल रहा. यही वजह रही कि जब एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद की उम्मीदवारी की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने बेझिझक उनको समर्थन देने की घोषणा की.