जापान के ओकिनोशिमा द्वीप को यूनेस्को द्वारा 09 जुलाई 2017 को विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) घोषित किया गया. यह द्वीप केवल पुरुषों के लिए है जबकि यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.
यह एक धार्मिक स्थान है जहां पुरुषों को धार्मिक अनुष्ठान के तहत यहां आकर स्नान करना होता है तथा समुद्र तट पर नग्न स्नान करना होता है. इस कारण यहां महिलाओं को आने की अनुमति नहीं है. यह स्थान जापान के लिए धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है.
यह एक धार्मिक स्थान है जहां पुरुषों को धार्मिक अनुष्ठान के तहत यहां आकर स्नान करना होता है तथा समुद्र तट पर नग्न स्नान करना होता है. इस कारण यहां महिलाओं को आने की अनुमति नहीं है. यह स्थान जापान के लिए धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है.
जापान के दक्षिण-पश्चिम क्यूशू द्वीप तथा कोरिया के प्रायद्वीप ओकिनोशिमा के मध्य स्थित यह द्वीप चौथी शताब्दी तक समुद्री सुरक्षा के लिए प्रार्थना स्थल और चीन व कोरिया के बीच संबंधों का केंद्र था.
पोलैंड में हुई यूनेस्को की वार्षिक बैठक में 700 वर्ग मीटर में फैले इस द्वीप पर इससे जुड़े रीफ और चार अन्य संबंधित स्थलों को विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया गया है. इस सूची में अब जापान के सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है.
ओकिनोशिमा द्वीप
• ओकिनोशिमा द्वीप पर जाने वाले लोगों को वहां की कोई यादगार वस्तु अपने साथ लाने की अनुमति नहीं है.
• यहां आने वाले श्रद्धालु अपने साथ कंकड़-पत्थर अथवा घास भी नहीं ला सकते.
• महिलाओं के प्रवेश पर रोक सहित पुराने समय से चली आ रहीं सभी पाबंदियां आज भी इस द्वीप पर मानी जाती हैं.
• यह द्वीप जापान से कुछ दूरी पर मौजूद है यहां पहुंचने के लिए समुद्र मार्ग से रास्ता तय करना होता है.
• यह भी कहा जाता है कि पिछले जमाने में महिलाओं के लिए समुद्री रास्ते से आना-जाना सुरक्षित नहीं माना जाता था इसलिए भी उन्हें यहां आने की मनाही थी.
• ओकिनोशिमा द्वीप पर जाने वाले लोगों को वहां की कोई यादगार वस्तु अपने साथ लाने की अनुमति नहीं है.
• यहां आने वाले श्रद्धालु अपने साथ कंकड़-पत्थर अथवा घास भी नहीं ला सकते.
• महिलाओं के प्रवेश पर रोक सहित पुराने समय से चली आ रहीं सभी पाबंदियां आज भी इस द्वीप पर मानी जाती हैं.
• यह द्वीप जापान से कुछ दूरी पर मौजूद है यहां पहुंचने के लिए समुद्र मार्ग से रास्ता तय करना होता है.
• यह भी कहा जाता है कि पिछले जमाने में महिलाओं के लिए समुद्री रास्ते से आना-जाना सुरक्षित नहीं माना जाता था इसलिए भी उन्हें यहां आने की मनाही थी.