डोकलाम एक पठार है जो दोनों भूटान और चीन अपने क्षेत्र मानते हैं। डोकलाम भूटान के हा घाटी, भारत के पूर्व सिक्किम जिला, और चीन के यदोंग काउंटी के बीच में है। इन्द्रस्त्रा ग्लोबल में प्रकाशित नवीनतम लेख के अनुसार, चल रहे संघर्ष के दौरान, चीन भारत के विरूद्ध अपने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क का उपयोग जानबूझकर विभिन्न आधार-आधारित तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
डोकलाम विवाद, डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर, भारतीय सशस्त्र बलों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच जारी सैन्य सीमा गतिरोध को संदर्भित करता है। 18 जून, 2017 को इस गतिरोध की शुरुआत हुई, जब करीब 300 से 270 भारतीय सैनिक दो बुलडोज़र्स के साथ भारत-चीन सीमा पार कर पीएलए को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया। 9 अगस्त, 2017 को, चीन ने दावा किया कि केवल 53 भारतीय सैनिक और एक बुलडोजर अभी भी डोकलाम में हैं। जबकि भारत ने इस दावे को नकारते हुये कहा है कि उसके अभी भी वहाँ करीब 300-350 सैनिक उपस्थित है।
डोकलाम विवाद का मुख्य कारण उसकी अवस्थिति है। यह एक ट्राई-जंक्शन है, जहाँ भारत, चीन और भूटान कि सीमा मिलती है। वैसे तो भारत का इस क्षेत्र पर कोई दावा नहीं है। दरअसल इस क्षेत्र को लेकर चीन भूटान के बीच में विवाद है। वर्तमान में यहाँ चीन का कब्जा है और भूटान उस पर दावा करता है। भूटान और भारत के बीच 1949 से ही परस्पर विश्वास और स्थायी दोस्ती का करीबी संबंध है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग का करार है। 2007 में भारत और भूटान द्वारा हस्ताक्षर किए गये मैत्री संधि के अनुच्छेद 2 में कहा गया है: "भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान की साम्राज्य की सरकार और भारत गणराज्य की सरकार निकट सहयोग करेगी अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ है।"
1988 के बाद से चीन भूटान के कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण करता आ रहा है। लेकिन डोकलाम में अभी तक पीएलए की कोई स्थायी उपस्थिति नहीं थी। पहली बार, चीन डोकोला से ज़ूमली में भूटान आर्मी शिविर की ओर एक सपाट सड़क का निर्माण कर रहा है। चुकि यह कार्य उसने पहले भी कर चुका है और भूटान विरोध करने में सक्षम नहीं दिखा। और यह स्पष्ट भी है कि भूटानी पीएलए के सैनिकों को निर्माण बंद कराने की स्थिति में नहीं हैं, भले ही उन्होंने चीनी पक्ष को जमीनी और राजनयिक चैनलों के माध्यम से कई बार विरोध जता चुका है, कि भूटानी क्षेत्र के अंदर सड़क का निर्माण पहले के समझौतों का उल्लंघन है।
इस क्षेत्र को लेकर भारत के पास दो प्रमुख मुद्दे हैं, जो भारत के लिये प्रत्यक्ष चिंता का कारण बना हुआ हैं। चीन एकतरफा ट्राई-जंक्शन बिंदु बदल रहा हैं। भारत इसे 2012 के एक आपसी समझोतें का उल्लंघन मानता है।[ जैसा कि विदेश मंत्रालय के वक्तव्य में उल्लेख किया गया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी सैन्य लाभ हासिल होगी। इससे पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।
जहाँ चीन का मानना है कि इस क्षेत्र पर उनका अधिकार है, और यह रोड उसके तिब्बत-सिल्क रोड का एक हिस्सा है, भारत को तुरन्त पीछे हटना होगा। वही भारत और भूटान चाहते है कि जब तक इस विवादित क्षेत्र का कोई फैसला नहीं होता रोड निर्माण का कार्य रोकना चाहिये एवं भविष्य में वहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण न किया जाये।