ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की पाँच उभरती हुई
अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसके घटक राष्ट्र ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इन्ही देशों के अंग्रेज़ी में नाम के
प्रथम अक्षरों B, R, I, C व S से मिलकर इस समूह का यह नामकरण हुआ है। ब्रिक्स देशों में विश्वभर
की 43% आबादी रहती है, जहां विश्व का सकल घरेलू उत्पाद 30% है और विश्व व्यापार में इसकी 17% हिस्सेदारी है।
ब्रिक्स का
इतिहास
ब्रिक (BRIC) की स्थापना
अमेरिका की बैंकिंग और वित्तीय कंपनी ‘गोल्डमैन शश’ (Goldman Sachs) के चेयरमैन जिम ओ नील ने पहली बार वर्ष 2001 में ‘ब्रिक’ (BRIC) शब्द का प्रयोग किया. ब्रिक शब्द का तात्पर्य ब्राजील, रूस, भारत और चीन था. गोल्डमैन शश का
तर्क था कि ब्राजील, रूस, चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि 2050 तक ये चारों अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक परिदृश्य पर हावी होगी. शश का
आकलन था कि भारत और चीन उत्पादित वस्तुओं और सर्विस के सबसे बड़े प्रदाता होंगे, वहीं ब्राजील और रूस कच्चे माल के सबसे बड़े उत्पादक हैं. ब्राजील
जहां लौह अयस्कों की आपूर्ति में प्रथम है तो रूस तेल एवं प्राकृतिक गैस के मामले
में शीर्ष पर है. ये चारों देश संयुक्त रूप से विश्व का एक-चौथाई क्षेत्र घेरते
हैं और इनकी जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक है. इन देशों का सकल घरेलु उत्पाद 15.435 ट्रिलियन डॉलर है.
ब्रिक देशों की पहली औपचारिक शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 को रूस के येकेटिनबर्ग में हुई थी.
इस सम्मेलन में ब्राजील से लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा, रूस से दिमित्री मेदवेदेव, भारत से मनमोहन सिंह और चीन से हू जिन्ताओ ने प्रतिनधित्व किया. शिखर
सम्मेलन का मुख्य मुद्दा वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार और वित्तीय संस्थानों
में सुधार का था.
ब्रिक समूह में दक्षिण अफ्रीका का प्रवेश
2010 में, दक्षिण अफ्रीका ने ब्रिक समूह में
शामिल होने के प्रयास शुरू किए, और इसके औपचारिक
प्रवेश की प्रक्रिया इसी वर्ष अगस्त में शुरू हुई. समूह में शामिल होने के लिए
ब्रिक देशों द्वारा औपचारिक रूप से आमंत्रित किए जाने के बाद, 24 दिसंबर 2010 को दक्षिण अफ्रीका आधिकारिक तौर पर
ब्रिक समूह का एक सदस्य राष्ट्र बन गया.
ब्रिक समूह में दक्षिण अफ्रीका के
शामिल हो जाने के बाद इस समूह का नाम बदलकर ब्रिक्स (BRICS) कर दिय गया, जिसमें ‘एस’ दक्षिण अफ्रीका को सूचित करता है.
अप्रैल 2011 में, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति, जैकब ज़ुमा, सान्या, चीन में हुये ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहली बार एक पूर्ण सदस्य के
रूप में हिस्सा लिया था.
ब्रिक्स बैंक
(न्यू डेवलपमेंट बैंक)
न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ब्रिक्स समूह के देशों द्वारा
स्थापित किए गए एक नए विकास बैंक का आधिकारिक नाम है. इसे पहले ब्रिक्स बैंक नाम
से भी जाना जाता था. एनडीबी का मुख्यालय शंघाई, चीन में है. दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में इस बैंक का
क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया गया है. ब्रिक्स बैंक में प्रत्येक सदस्य देश को
सामान वोट का अधिकार है, और किसी के पास वीटो का अधिकार नहीं
है.
एनडीबी के अधिकारी
भारत के केवी कामत एनडीबी के पहले अध्यक्ष हैं. उनका कार्यकाल पांच
साल का है. ब्रिक्स देशों ने एनडीबी स्थापित करने पर समझौता किया था कि इसका
मुख्याल चीन के शंघाई शहर में होगा. समझौते के मुताबिक इस बैंक का पहला अध्यक्ष
भारत से, बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के इनोगुरल
चेयरमैन ब्राज़ील से होंगे व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के इनोगुरल चेयरमैन रूस से होंगे.
एनडीबी की स्थापना
ब्राज़ील के फ़ोर्टालेज़ा में आयोजित छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, 2014 में 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी
के साथ न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना का निर्णय किया गया. इस धनराशि में सभी
सदस्य देशों की बराबर-बराबर हिस्सेदारी है. ब्रिक्स देशों के उभरते बाजारों के बीच
अधिक से अधिक वित्तीय और विकास सहयोग को बढ़ावा के लिए इस बैंक की स्थापना की गयी
है.
एनडीबी के उद्देश्य
एनडीबी का उद्देश्य ब्रिक्स देशों और अन्य उभरती तथा विकासशील
अर्थव्यवस्थाओं की सतत विकास की मूलभूत परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना
है.
एनडीबी के कार्य
किसी देश शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी समस्याओं को दूर करना, ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाना, वैश्विक फाइनैंशल सेफ्टी नेट को मजबूत करना आदि.
ब्रिक्स
सम्मेलन
प्रारंभिक चार ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) के विदेश मंत्री
सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क शहर में मिले और उच्च
स्तरीय बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की. 16 मई 2008 को एक पूर्ण पैमाने की राजनयिक बैठक
को येकेटिनबर्ग, रूस में आयोजित किया गया था. ब्रिक
देशों की पहली औपचारिक शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 को रूस के येकेटिनबर्ग में हुई थी.
अब तक हुए ब्रिक
शिखर सम्मेलन
शिखर सम्मेलन का
संस्करण
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वर्ष
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आयोजन स्थल
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प्रथम
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2009
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येकतेरिनबर्ग, रुस
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दूसरा
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2010
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ब्रासीलिया, ब्राज़ील
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तीसरा
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2011
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सान्या, चीन
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चौथा
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2012
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नई दिल्ली, भारत
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पांचवां
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2013
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डरबन, दक्षिण
अफ्रीका
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छठा
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2014
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फोर्टालेज़ा और ब्रासीलिया, ब्राज़ील
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सातवां
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2015
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बाश्कोर्तोस्तान
(ऊफा), रुस
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आठवां
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2016
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गोवा, भारत
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नौवां
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2017
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शियामिन, चीन
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दसवां (प्रायोजित)
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2018
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जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका
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उल्लेखनीय है कि…
रूस को छोडकर, ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी
अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर
महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. पाँचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये
राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में 4 खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं. इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल
घरेलू उत्पाद 15 खरब अमेरिकी डॉलर है.
ब्रिक्स देशों के
बीच मतभेद
ब्रिक्स देश आर्थिक मुद्दों पर एक
साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक
विषयों पर भारी विवाद हैं. इन विवादों में:
1. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक दूसरे को एक विवादित और
सैन्यीकृत सरहद के आर-पार खड़े पाते हैं. चीन और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर भी
भारत असहज है.
2. ब्रिक्स को औपचारिक शक्ल देने पर भी मतांतर हैं. मसलन ब्रिक्स का
सैक्रेटेरिएट बनाने पर भी फिलहाल कोई सहमति नहीं हो पाई है.
3. समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए, इस विषय पर भी कोई साफ विचार नहीं है.
4. भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में
मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है लेकिन इसी समूह में चीन भी है जहाँ साम्यवादी शासन
है और गैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर है.
5. ब्राजील चीन की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंता
व्यक्त कर चुका है. चीन ये बात साफ कर चुका है कि युआन का मुद्दा ब्रिक्स में बहस
के लिए नहीं उठाया जा सकता.