निर्देश (1-5) : नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए. कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी. दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए.
मैथिलीशरण गुप्त गांधी युग के प्रतिनिधि कवि हैं- अपने जीवन के प्रौढ़काल में ही वे इस गौरव के
अधिकारी हो गए थे. गांधी युग का प्रतिनिधित्व एक सीमा तक सम्पूर्ण आधुनिक काल का प्रतिनिधित्व भी माना जा सकता है. गांधी युग की प्रायः समस्त मूल प्रवृत्तियां-राष्ट्रीय, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन-गुप्तजी के काव्य में
प्रतिफलित हैं. यह प्रतिफलन प्रत्यक्ष भी है और परोक्ष भी. कुछ रचनाओं में युग-जीवन का स्वर मुखर है और उनमें वातावरण की हलचल का प्रत्यक्ष चित्रण किया गया हैं. इनमें कवि राष्ट्रकवि के दायित्व का भी पालन करता है. कुछ अन्य रचनाओं में युग-चेतना अत्यंत प्रखर है परंतु वह प्रच्छन्न है। गुप्तजी के संस्कार मूलतः सामंतीय थे और उनके घर का वातावरण वैष्णव था, तथापि वे समय के साथ चलने का निरन्तर प्रयत्न करते थे तथा देश के विभिन्न आंदोलनों को समझने का भी प्रयत्न करते थे. उनकी प्रतिक्रिया प्रायः प्रखर और प्रबल होती थी. गांधी युग की समस्याओं का चित्रण प्रेमचंद ने भी किया और अपने ढंग से प्रसाद ने भी. प्रेमचंद की दृष्टि बहिर्मुखी थी, उनकी चेतना सामाजिक-राजनीतिक थी. प्रसाद की दृष्टि अंतर्मुखी थी और उनकी चेतना एकांत रूप में सांस्कृतिक थी-गांधी युग की प्रायः सभी प्रमुख समस्याओं को उन्होंने ग्रहण किया, परंतु उनके बहिरंग में उनकी रूचि नहीं थी. अपने नाटकों में प्रसाद ने उन्हें पूर्णतः सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत किया है और कामायनी में आध्यात्मिक धरातल पर. अपने उपन्यासों में प्रसाद उन्हें राजनीतिक-सामाजिक धरातल पर ग्रहण करते हैं परंतु शीघ्र ही उनके बहिरंग रूपों को भेदकर उनमें निहित सांस्कृतिक तत्वों का चित्रण भी करने लगते हैं. गुप्तजी की स्थिति मध्यवर्ती है, उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय-सांस्कृतिक है. उनमें न तो प्रेमचंद के समान व्यावहारिकता का आग्रह है और न प्रसाद की तरह दार्शनिकता का. उनमें सगुण तत्व अधिक है. प्रेमचंद में धर्म-भावना का अभाव है तो प्रसाद में लोकभावना का. गुप्तजी में लोक चेतना का प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत अधिक मिलता है.
अधिकारी हो गए थे. गांधी युग का प्रतिनिधित्व एक सीमा तक सम्पूर्ण आधुनिक काल का प्रतिनिधित्व भी माना जा सकता है. गांधी युग की प्रायः समस्त मूल प्रवृत्तियां-राष्ट्रीय, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन-गुप्तजी के काव्य में
प्रतिफलित हैं. यह प्रतिफलन प्रत्यक्ष भी है और परोक्ष भी. कुछ रचनाओं में युग-जीवन का स्वर मुखर है और उनमें वातावरण की हलचल का प्रत्यक्ष चित्रण किया गया हैं. इनमें कवि राष्ट्रकवि के दायित्व का भी पालन करता है. कुछ अन्य रचनाओं में युग-चेतना अत्यंत प्रखर है परंतु वह प्रच्छन्न है। गुप्तजी के संस्कार मूलतः सामंतीय थे और उनके घर का वातावरण वैष्णव था, तथापि वे समय के साथ चलने का निरन्तर प्रयत्न करते थे तथा देश के विभिन्न आंदोलनों को समझने का भी प्रयत्न करते थे. उनकी प्रतिक्रिया प्रायः प्रखर और प्रबल होती थी. गांधी युग की समस्याओं का चित्रण प्रेमचंद ने भी किया और अपने ढंग से प्रसाद ने भी. प्रेमचंद की दृष्टि बहिर्मुखी थी, उनकी चेतना सामाजिक-राजनीतिक थी. प्रसाद की दृष्टि अंतर्मुखी थी और उनकी चेतना एकांत रूप में सांस्कृतिक थी-गांधी युग की प्रायः सभी प्रमुख समस्याओं को उन्होंने ग्रहण किया, परंतु उनके बहिरंग में उनकी रूचि नहीं थी. अपने नाटकों में प्रसाद ने उन्हें पूर्णतः सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत किया है और कामायनी में आध्यात्मिक धरातल पर. अपने उपन्यासों में प्रसाद उन्हें राजनीतिक-सामाजिक धरातल पर ग्रहण करते हैं परंतु शीघ्र ही उनके बहिरंग रूपों को भेदकर उनमें निहित सांस्कृतिक तत्वों का चित्रण भी करने लगते हैं. गुप्तजी की स्थिति मध्यवर्ती है, उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय-सांस्कृतिक है. उनमें न तो प्रेमचंद के समान व्यावहारिकता का आग्रह है और न प्रसाद की तरह दार्शनिकता का. उनमें सगुण तत्व अधिक है. प्रेमचंद में धर्म-भावना का अभाव है तो प्रसाद में लोकभावना का. गुप्तजी में लोक चेतना का प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत अधिक मिलता है.
1. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(a) गांधी-युग की काव्य चेतना
(b) मैथिलीशरण गुप्त का काव्य
(c) प्रेमचंद का साहित्य
(d) आधुनिक हिन्दी काव्य की मूल प्रवृत्तियां
(e) इनमें से कोई नहीं
2. सही वक्तव्य कौन-सा है?
(a) प्रसाद गांधी- युग के प्रतिनिधि कवि हैं?
(b) मैथिलीशरण गुप्त एक सीमा तक संपूर्ण आधुनिक काल का प्रतिनिधित्व करते हैं
(c) प्रेमचंद के साहित्य में गांधी युग की समस्त मूल प्रवृत्तियों का प्रतिफलन है
(e) गुप्तजी की रचनाओं में वातावरण की हलचल का परोक्ष चित्रण है
(e) इनमें से कोई नहीं
3. गद्यांश में इस शब्द का प्रयोग नहीं है-
(a) प्रच्छन्न
(b) जन-काव्य
(c) बहिरंग
(d) लोक-चेतना
(e) इनमें से कोई नहीं
4. सही वक्तव्य कौन-सा है?
(a) प्रसाद के घर का वातावरण वैष्णव था
(b) गुप्तजी के संस्कार सामंतीय थे
(c) प्रेमचंद में युग-चेतना अत्यंत प्रखर है
(d) गांधी युग की एक मूल प्रवृत्ति धार्मिक आंदोलन की थी
(e) इनमें से कोई नहीं
5. सही वक्तव्य कौन-सा है?
(a) प्रेमचंद की दृष्टि सांस्कृतिक थी
(b) प्रसाद देश की विभिन्न आंदोलनों को समझने का प्रयत्न करते थे
(c) प्रेमचंद अपने समय के साथ चलने का प्रयत्न करते थे
(d) गुप्तजी के काव्य में गांधीयुग की प्रवृतियों का परोक्ष प्रतिफलन भी है
(e) इनमें से कोई नहीं
निर्देश (6-10) : नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में एक रिक्त स्थान दिया गया है और उसके नीचे पांच शब्द दिए गए हैं. इनमें से कोई एक उस रिक्त स्थान पर रख देने से वह वाक्य एक अर्थपूर्ण वाक्य बन सकता हैं, सही शब्द ज्ञातकर उसके क्रमांक को उत्तर के रूप में अंकित कीजिए, दिए गए शब्दों में से सर्वाधिक उपयुक्त शब्द का चयन कीजिये.
6. लोकतंत्र राज्य जनता में राष्ट्रीय भावना ............. रूप से जागरित करता है.
(a) स्वाभाविक
(b) अस्वाभाविक
(c) संकीर्ण
(d) अनिरंजित
(e) इनमें से कोई नहीं
7. अन्न की बचत करना देश की उन्नति में ................ होना है।
(a) बाधक
(b) साधक
(c) सहायक
(d) अवरोधक
(e) इनमें से कोई नहीं
8. भारतीय कलाकारों ने जीवन के अत्यन्त ..................... चित्र उतारे हैं.
(a) मनोरम
(b) निर्मम
(c) कोमल
(d) निरापद
(e) इनमें से कोई नहीं
9. गांधीजी का अर्थशास्त्र धर्म और ................. पर आधारित है.
(a) राज्य
(b) न्याय
(c) प्रशासन
(d) यश
(e) इनमें से कोई नहीं
10. पुरूषों को स्त्रियों का प्रेम ............... प्राप्त है.
(a) वर-स्वरूप
(b) कर-स्वरूप
(c) धन-स्वरूप
(d) ऋण-स्वरूप
(e) इनमें से कोई नहीं
निर्देश (11-15) : नीचे दिया गया प्रत्येक वाक्य चार भागों में बाँटा गया है (a), (b), (c), और (d) क्रमांक दिए गए हैं. आपको यह देखना है कि वाक्य के किसी भाग में व्याकरण, भाषा, वर्तनी, शब्दों के गलत प्रयोग या इसी तरह की कोई त्रुटि तो नहीं है. त्रुटि अगर होगी तो वाक्य के किसी एक भाग में ही होगी. उस भाग का क्रमांक ही उत्तर है. अगर वाक्य त्रुटिरहित है तो उत्तर (e) दीजिए।
11. भारतीय किसान आजीवन-भर (a)/ पूरी मेहनत करता है (b)/ पर साहुकारों के चंगुल से (c)/ नहीं निकल पाता (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
12. साहित्यकार का दायित्व (a)/बल्कि उनके कारणों का (b)/ विवेचन करते हुए श्रेयस मार्ग की ओर ले जाना है (c)/ वस्तुस्थिति का यथातथ्य चित्रण मात्र प्रस्तुत कर देना ही नहीं (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
13. जनसंख्या में (a)/ हम अपने जीवन को (b)/ सुखी और संतुष्ट नहीं बना सके (c)/ असाधारण वृद्धि के कारण (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
14. स्वार्थ के वशीभूत होकर (a)/ मानव रह बात को (b)/ अपने मनोनुकूल (c)/ देखना चाहता है (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
15. सामज-सुधारकों के (a)/ दहेज प्रथा ने (b)/ प्रयत्नों के बावजूद (c)/ अत्यन्त विकट रूप धारण कर लिया है (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
Solution
S1. Ans.(b)
S2. Ans.(b)
S3. Ans.(b)
S4. Ans.(b)
S5. Ans.(d)
S6. Ans.(a)
S7. Ans.(c)
S8. Ans.(a)
S9. Ans.(b)
S10. Ans.(a)
S11. Ans.(a)
S12. Ans.(d)
S13. Ans.(d)
S14. Ans.(c)
S15. Ans.(b)