सरकारी बैंकों को उबारने के लिए नौ सूत्र

• यह बात तो किसी से भी छिपी हुई नहीं है कि सरकारी बैंक बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। कुछ ही दिन पहले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और मूडीज ने भारतीय बैंकों पर जारी अपनी रिपोर्ट में तो मौजूदा हालात को अभी तक की सबसे खराब दौर करार दिया है। अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परोक्ष तौर पर कुछ ऐसी ही बातें कही हैं। 

• आरबीआइ ने सीधे तौर पर तो नहीं कहा है लेकिन बैंकों के ढांचे को सुधारने के लिए उसने एक नौ सूत्रीय फॉमरूला दिया है जिसका लब्बोलुबाव यही है कि इन बैंकों के स्तर पर हालात को बेहतर बनाने के लिए कई स्तरों पर काम करना होगा।


• आरबीआइ का पहला फार्मूला  यह है कि ग्राहकों की मांग और जरूरत के मुताबिक इन बैंकों को वित्तीय सेवा उत्पाद उतारने होंगे। इन्हें हर कीमत पर कर्ज की रफ्तार बढ़ानी होगी ताकि निवेश की प्रक्रिया को बढ़ावा मिले। यह सुझाव इसलिए अहम है कि वर्ष 2016-17 में सरकारी बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज की रफ्तार पिछले कई दशकों के मुकाबले सबसे सुस्त रही है। 

• दूसरा सुझाव यह है कि बैंकों को अपनी बैलेंस सीट को दुरुस्त करना होगा। इसके लिए इन्हें सरकार की तरफ से तैयार दिवालिया कानून इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) का सहारा लेना होगा। 

• बैंकों को कहा गया है कि वे नियामक एजेंसियों और कानून बनने का इंतजार नहीं करें बल्कि हिसाब-किताब किस तरह से दुरुस्त रखा जाए, इसका इंतजाम वे अपने स्तर पर ही करें। 

• सनद रहे कि आरबीआइ पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के कार्यकाल में बैंकों को सभी तरह के फंसे कर्जे (एनपीए) को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था। अभी तक बैंकों के स्तर पर एनपीए छिपाने का काम किया जा रहा था। 

• आरबीआई की तरफ से तीसरा सुझाव यह है कि वे ग्राहकों की शिकायतों को सुलझाने के लिए विशेष निकाय का गठन करें। यह निकाय ग्राहकों के हितों की रक्षा के मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाएगा। चौथा सुझाव केंद्रीय बैंक ने कॉरपोरेट गवर्नेस के बारे में देते हुए कहा है कि इसे बढ़ावा देने से बैंक और देश का वित्तीय ढांचा दोनो मजबूत होंगे। इसके लिए बैंकों को सारे नियम कानूनों को मजबूती से लागू करने का सुझाव दिया गया है। 

• इसके बाद पांचवा सुझाव यह है कि अप्रैल, 2018 से बैंक लागू होने वाले एकाउंटिंग स्टैंडर्ड को सही तरीके से लागू करें। माना जा रहा है कि इससे बैंकों के लिए भविष्य में फंसे कर्जे को छिपाना असंभव हो जाएगा। 

• छठा सुझाव यह है कि ग्राहकों से तमाम तरह की जो फीस वसूली जाती है उसको तय करने और उसे लागू करने को लेकर पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाए।

• सातवां सुझाव यह है कि बैंकों को अब तकनीक को अपनाने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। सनद रहे कि सरकारी बैंक तकनीक को अपनाने में अभी भी काफी सुस्त हैं। 

• आरबीआइ का कहना है कि बैंकों को ऐसी तकनीक लानी होगी जिससे आम ग्राहकों को बेहतरीन सेवा दी जा सके। आने वाले दिनों में बैंकिंग कारोबार में सफल होने का यही मंत्र होगा। तकनीक में सुधार न होने पर बैंक पिछड़ जाएंगे। 

• आठवां सुझाव यह है कि लघु और मझोले उद्योगों पर फोकस बढ़ाना होगा। बैंकों को इन उद्योगों को कर्ज देने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए। 

• इसके बाद नौवां और अंतिम सुझाव यह है कि बैंकों को साइबर अपराध रोकने के लिए मुकम्मल तैयारी करनी होगी।
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