भारत की ऊर्जा प्रणाली लगभग 331 गीगावॉट की स्थापित क्षमता के साथ विश्व की सबसे बड़ी ऊर्जा प्रणालियों में से एक है। भारत का प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग वैश्विक औसत के एक-तिहाई से कम है। लगभग 300 मिलियन लोग राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से नहीं जुड़े हैं। तेजी से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विश्वसनीय ऊर्जा की आवश्यकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें से 100 गीगावॉट की सौर ऊर्जा स्थापित की जानी है। हाल ही में भारत एवं विश्व बैंक के मध्य सौर उर्जा के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
20 नवंबर, 2017 को भारत एवं विश्व बैंक के मध्य ‘सोलर पार्क परियोजना हेतु साझी अवसंरचना’ (Shared Infrastructure for Solar Parks Project) के लिए 98 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते और 2 मिलियन डॉलर के अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।समझौते से स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से भारत को अपनी बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।‘सोलर पार्क परियोजना’ हेतु साझी अवसंरचना द्वारा विभिन्न सोलर पार्कों में निवेश करने हेतु राज्यों का चयन करने के लिए उप-ऋण (Sub-Loans) प्रदान करने हेतु ‘भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड’ (IREDA) का वित्तीयन किया जाएगा।उक्त पार्कों में से अधिकांश की स्थापना नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की ‘सोलर पार्क योजना’ (Solar Park Scheme) के तहत की जाएगी।परियोजना के तहत समर्थित पहले दो सोलर पार्क मध्य प्रदेश के रीवां एवं मंदसौर जिलों के हैं जिनकी लक्षित स्थापित क्षमता क्रमशः 750 मेगावॉट एवं 250 मेगावॉट है।इसके अतिरिक्त परियोजना के तहत ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा के संभावित सोलर पार्कों का समर्थन किया जा सकता है।भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लि. द्वारा परियोजना के तहत वित्तपोषण का उपयोग पॉवर पूलिंग सबस्टेशन, इंट्रा-पार्क ट्रांसमिशन जैसी साझी अवसंरचना के विकास और सड़क, जलापूर्ति एवं जल निकासी तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया जाएगा।परियोजना का उद्देश्य भारत में बड़े सोलर पार्कों की स्थापना के माध्यम से सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना है।परियोजना के दो घटक हैं (i) सोलर पार्कों हेतु साझी अवसंरचना और (ii) तकनीकी सहायता।सोलर पार्कों हेतु साझी अवसंरचना की कुल अनुमानित परियोजना लागत 100 मिलियन डॉलर है जिसमें 75 मिलियन डॉलर का विश्व बैंक का ऋण और 23 मिलियन डॉलर का ‘स्वच्छ तकनीक कोष’ (CTF) का ऋण है।विश्व बैंक के 75 मिलियन डॉलर के ऋण की अनुग्रह (GRACE) अवधि 5 वर्ष एवं परिपक्वावधि 19 वर्ष है।स्वच्छ तकनीक कोष के 23 मिलियन डॉलर के ऋण की अनुग्रह अवधि 10 वर्ष एवं परिपक्वावधि 40 वर्ष है।2 मिलियन डॉलर का ब्याज रहित स्वच्छ तकनीक कोष अनुदान है।
20 नवंबर, 2017 को भारत एवं विश्व बैंक के मध्य ‘सोलर पार्क परियोजना हेतु साझी अवसंरचना’ (Shared Infrastructure for Solar Parks Project) के लिए 98 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते और 2 मिलियन डॉलर के अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।समझौते से स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से भारत को अपनी बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।‘सोलर पार्क परियोजना’ हेतु साझी अवसंरचना द्वारा विभिन्न सोलर पार्कों में निवेश करने हेतु राज्यों का चयन करने के लिए उप-ऋण (Sub-Loans) प्रदान करने हेतु ‘भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड’ (IREDA) का वित्तीयन किया जाएगा।उक्त पार्कों में से अधिकांश की स्थापना नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की ‘सोलर पार्क योजना’ (Solar Park Scheme) के तहत की जाएगी।परियोजना के तहत समर्थित पहले दो सोलर पार्क मध्य प्रदेश के रीवां एवं मंदसौर जिलों के हैं जिनकी लक्षित स्थापित क्षमता क्रमशः 750 मेगावॉट एवं 250 मेगावॉट है।इसके अतिरिक्त परियोजना के तहत ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा के संभावित सोलर पार्कों का समर्थन किया जा सकता है।भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लि. द्वारा परियोजना के तहत वित्तपोषण का उपयोग पॉवर पूलिंग सबस्टेशन, इंट्रा-पार्क ट्रांसमिशन जैसी साझी अवसंरचना के विकास और सड़क, जलापूर्ति एवं जल निकासी तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया जाएगा।परियोजना का उद्देश्य भारत में बड़े सोलर पार्कों की स्थापना के माध्यम से सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना है।परियोजना के दो घटक हैं (i) सोलर पार्कों हेतु साझी अवसंरचना और (ii) तकनीकी सहायता।सोलर पार्कों हेतु साझी अवसंरचना की कुल अनुमानित परियोजना लागत 100 मिलियन डॉलर है जिसमें 75 मिलियन डॉलर का विश्व बैंक का ऋण और 23 मिलियन डॉलर का ‘स्वच्छ तकनीक कोष’ (CTF) का ऋण है।विश्व बैंक के 75 मिलियन डॉलर के ऋण की अनुग्रह (GRACE) अवधि 5 वर्ष एवं परिपक्वावधि 19 वर्ष है।स्वच्छ तकनीक कोष के 23 मिलियन डॉलर के ऋण की अनुग्रह अवधि 10 वर्ष एवं परिपक्वावधि 40 वर्ष है।2 मिलियन डॉलर का ब्याज रहित स्वच्छ तकनीक कोष अनुदान है।