- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी दूसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति 2018-19 के नये दरों की घोषणा मुंबई में की।
- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति के आकलन के आधार पर यह द्वि-मासिक नीति जारी की गई है।
- तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर है।
- एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो दर 6.0 प्रतिशत हो गई है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) की दर और बैंक दर 6.50 प्रतिशत है।
- भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, विकास दर के समर्थन के लिए, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के एक बैंड के भीतर 4 प्रतिशत तक प्राप्त करने के उद्देश्य है।
2014 के बाद से पहली बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट चौथाई फीसदी बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया है। इस तरह अब लोन मंहगा हो जाएगा और ईएमआई में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
गौरतलब है कि जनवरी 2014 के बाद रिजर्व बैंक ने पहली बार रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की है।
क्रेडिट पॉलिसी में नीतिगत दरों में बदलाव करते हुए आरबीआई ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और यह 4 फीसदी ही है। हालांकि एमपीसी के सभी सदस्यों ने दर बढ़ाने के पक्ष में वोट किया था।
आरबीआई ने बढ़ी हुई दरों पर बयान देते हुए कहा, "नतीजतन, तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रिवर्स रेपो दर 6.00 फीसदी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.50 फीसदी हो गई है।"
बयान में आगे कहा गया है, "मौद्रिक नीति समिति का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार फीसदी मुद्रास्फीति (दो फीसदी ऊपर-नीचे) प्राप्त करना है।"