प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी द्वारा शुरू की गयी महत्त्वाकांक्षी जन धन योजना को भारी सफलता मिली है,
जिसका मकसद समाज के वंचित तबकों को संगठित वित्तीय व्यवस्था के दायरे में लाना है।
सफलता:
02 मई 2018 तक के आंकड़े
दर्शाते हैं कि इस योजना के तहत 31.5 करोड़ खाते खोले गए हैं। इनमें करीब 59% यानी
18.58 करोड़ खाते ग्रामीण और कस्बाई इलाकों की बैंक शाखाओं में खुले हैं। इन खातों
में कुल जमाएं 813 अरब रुपये पर पहुंच गई हैं।
प्रारम्भ में इस बात पर
संशय था कि कितने गरीब परिवार योजना से जुड़ेंगे। लेकिन विश्व बैंक की ग्लोबल
फिनडेक्स रिपोर्ट, 2017 दर्शाती है कि सबसे गरीब 40% परिवारों की महिलाओं और
वयस्कों के बैंक खातों में 30% बढ़ोतरी हुई है। यह इस बात का संकेत है कि अमीरों
और गरीबों के बीच खातों के स्वामित्व के लिहाज से खाई कम हो रही है।
इन खातों में से आधे से
कुछ अधिक खाते महिलाओं ने खुलवाए हैं। इसका मतलब है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान
बैंक खाते के मालिकाना हक में पुरुष और महिला का अंतर बहुत कम हो गया है। विश्व
बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2014 में पुरुषों के पास महिलाओं की तुलना में
20 फीसदी ज्यादा खाते थे, लेकिन वर्ष 2017 तक यह अंतर घटकर महज 6 फीसदी हो गया है।
चुनौतियाँ:
विश्व बैंक की रिपोर्ट मे
कहा गया है कि नकद के बजाय बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड के जरिये पेंशन भुगतान शुरू
होने के बाद धन की चोरी 47 फीसदी कम हुई है।
हालांकि अब भी कई
चुनौतियां बरकरार हैं। पहली, करीब 19 करोड़ भारतीयों के पास अभी कोई बैंक खाता
नहीं है।
दूसरी, इन खातों को
इस्तेमाल करने का स्तर लगातार कम बना हुआ है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया
है कि इन खातों में से 48 फीसदी निष्क्रिय हैं, जो वैश्विक औसत 25 फीसदी का दोगुना
है। तीसरा, अध्ययन में पाया गया है कि भारत में केवल 7 फीसदी वयस्क लोग अपने खाते
का इस्तेमाल बचत के लिए कर रहे हैं।
वित्तीय समावेशन:
वित्तीय समावेशन
(फाइनेंशयल इन्क्लूजन) का अर्थ समाज के पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों को वित्तीय
सेवाएँ प्रदान करना है। इसके साथ ही ये सेवाएँ उन लोगों को वहन करने योग्य मूल्य
पर मिलनी चाहिए। कुछ प्रमुख वित्तीय सेवाएं हैं - ऋण, भुगतान और धनप्रेषण सुविधाएं
और मुख्यधारा के संस्थागत खिलाड़ियों द्वारा उचित और पारदर्शी ढंग से वहनीय लागत
पर बीमा सेवा।
'वित्तीय समावेशन' के तहत
यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी आर्थिक विकास के
लाभों से संबद्ध किया जा सके, कोई भी व्यक्ति आर्थिक सुधारों से वंचित न रहे।
इसके तहत देश के प्रत्येक
नागरिक को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास किया जाता है।
ऐसा इसलिये किया जाता है, ताकि गरीब आदमी को बचत करने के साथ-साथ विभिन्न वित्तीय
उत्पादों में सुरक्षित निवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
जन-धन योजना:
बैंकिंग सेवाओं की पहुँच
में वृद्धि करने और यह सुनिश्चित करने के लिये कि सभी परिवारों के पास कम से कम
एक बैंक खाता हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2014 को
प्रधानमंत्री जन-धन योजना नामक एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन की घोषणा की
गई।
इस योजना को 28 अगस्त,
2014 को औपचारिक रूप में शुरू किया गया।
जन-धन योजना के तहत खाता खोलने पर मिलने वाले अतिरिक्त लाभ:
- ग्राहक को एक रुपे (RUPAY) डेबिट कार्ड ज़ारी किया जाता है
जिसमें 1 लाख रुपये का बीमा कवर होता है।
- इसके अतिरिक्त, खाते को छ: महीने तक संतोषजनक रूप में
संचालित करने पर ग्राहक को 5,000 रुपए की ओवर ड्राफ्ट सुविधा भी प्रदान की
जाती है।
- ग्राहकों को एक विशेष समय तक खाता खोले रखने के लिये
30,000 रुपए का जीवन बीमा भी दिया गया है।