बैंकों में जोखिम के प्रकार


बैंकिग तंत्र अभी असामान्‍य स्थिति में फंसा हुआ दिखाई दे रहा है जहां अब चिंता का मुख्‍य विषय क्रेडिट जोखिम से हटकर संचालन जोखिम हो गया है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, बैंक पैसे में लेन-देन करते हैं, जिसमें जोखिम अंर्तनिहित होता है और जिसे पूरी तरह से समाप्‍त भी नहीं किया जा सकता है लेकिन कम जरूर किया जा सकता है।
भारत में बैंकों के साथ मुख्‍य समस्‍या यह है कि बैंकिग के सभी तीनों जोखिम – क्रेडिट जोखिमसंचालन जोखि‍म और बाज़ार जोखिम ने लगभग एक ही समय में बैंकों पर असर डाला है।
आज कल बैंक बड़ी गैर-निष्‍पादनकारी परिसंपत्ति‍यों (एन.पी.ए.) से प्रभावित हैं, जिससे क्रेडिट जोखिम का खतरा है।
हाल ही के तिमाही परिणामों के अनुसार, निचले बैंक वित्‍त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में कमाई में कमी होने के कारण प्रभावित थे। इसके कारण बाज़ार जोखिम का खतरा है।
हाल ही के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के साथ यह माना जा सकता है कि इसके नुकसान का कईं दूसरे भारतीय बैंकों पर भी प्रभाव पड़ेगा। यह बैंकों द्वारा सामना किए जाने वाले संचालन जोखिम का स्‍पष्‍ट उदाहरण है।
इस लेख में, हमनें बैंकों द्वारा सामना किए जाने वाले कुछ प्रमुख प्रकार के जोखिमों का सामान्‍य भाषा में वर्णन किया है।

 बैंकों में जोखिम के प्रकार

बैंकों में ‘जोखिम’ से आपका क्‍या अर्थ है – बैंक में जोखिम का अर्थ बैंक के विफल होने की स्थिति में कमाई और परिणाम की ‘भविष्‍य की अनिश्चितता’ है।
उदाहरण के लिए –
1.   पंजाब नेशनल बैंक (पी.एन.बी.) में 11,400 करोड़ रुपए का घोटाला – ऐसी स्थिति में बैंक निम्‍नलिखित जोखिमों का सामना करते हैं (a) क्रेडि‍ट जोखिम (b) संचालन जोखिम (c) प्रतिष्‍ठा जोखिम।
2.   वीडियोकॉन ग्रुप को आई.सी.आई.सी.आई. बैंक की तरफ से 3,250 करोड़ रुपए का ऋण प्राप्‍त हुआ लेकि‍न वे 2810 करोड़ रुपए के पुर्नभुगतान में असफल रहे। 2017 में, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक ने इसे एन.पी.ए. करार दे दिया था और वर्तमान बकाया 2,810 करोड़ रुपए है। इतनी बड़ी धनराशि बैंक की प्रतिष्‍ठा को खतरे में डालती है। यह प्रतिष्‍ठा जोखिम का स्‍पष्‍ट उदाहरण है।
3.   बैंक की बढ़ती गैर-निष्‍पादनकारी परिसंपत्तियां (एन.पी.ए.) और पुर्नभुगतान में विफलता के बैंक पर निम्‍नलिखित परिणाम होते हैं (a) भारी क्रेडि‍ट हानि (b) प्रतिष्‍ठा हानि (c) संचालन जोखिम
इसलिए उदाहरण 1, 2 और 3 से हम यह निष्‍कर्ष निकाल सकते हैं कि – सभी 1, 2 और 3 से आय में हानि होती है और दीर्घावधि में बैंकिंग तंत्र विफल हो जाते हैं।
अवधारणा के साथ जोखिम के प्रकार को समझें - आइए सामान्‍य भाषा में जोखिम के प्रकार पर चर्चा करते हैं –

क्रेडिट जोखिम

1. क्रेडिट जोखिम :– ऋणी व्‍यक्ति का ऋणदाता को वापस धन के पुर्नभुगतान में विफल होना।
आइए इस अवधारणा को समझते हैं -
मान लीजिए – सा‍हिल एक व्‍यापारी है और वह भोपाल, मध्‍य प्रदेश में रहता है। उसे पेपर इंडस्‍ट्री स्‍थापित करने के लिए तत्‍काल 20 लाख रुपए की जरूरत है। वह व्‍यवसायिक ऋण के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में गया।
बैंक ऑफ बड़ौदा की भोपाल शाखा ने साहिल को 20 लाख रुपए का ऋण आवं‍टित कर दिया। ऋण की अवधि 15 वर्ष है। कुछ वित्‍तीय संकट के कारण, 15 वर्ष पूरे होने पर साहिल ऋण और ब्‍याज राशि दोनों अदा करने में असफल रहा।
साहिल के लिए 20 लाख रुपए बस ऋण धनराशि है, लेकिन बैंक के लिए यह परिसंपत्ति है।
इसलिए यहां परिणाम है – धनराशि के पुर्नभुगतान न होने के कारण बो.ओ.बी. की भोपाल शाखा को क्रेडिट घाटा। इस प्रकार के जोखिम को ‘’क्रेडिट जोखिम’ कहते हैं।
परिभाषा :- ऋणी के परिपक्‍वता अवधि पूरी होने पर ऋणदाता को ऋण धनराशि के पुर्नभुगतान में असमर्थ रहने के कारण ऋणदाता को घाटा होता है, जिसे क्रेडिट घाटा कहते हैं। ऋणी के लिए यह केवल ऋण है लेकिन बैंक के लिए यह एक परिसंपत्ति है। क्रेडिट घाटे के कारण गैर-निष्‍पादनकारी परिसंपत्तियों (एन.पी.ए.) में वृद्धि होती है।

संचालन जोखि‍म

2. संचालन जोखि‍म :– बैंकों में केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर की विफलता अथवा आंतरिक प्रक्रिया का विफल होना।
आइए इस अवधारणा को समझते हैं –
बैंक ऑफ बड़ौदा भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है। बैंक ऑफ बड़ौदा अपने ग्राहकों को सेवाओं की विस्‍तृत श्रृंखला उपलब्‍ध कराता है जैसे
  • आर.टी.जी.एस. (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट)
  • एन.ई.एफ.टी. (नेशनल इलेक्‍ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर)
  • फंड ट्रांसफर के दूसरे ऑनलाइन माध्‍यम
  • कंप्‍यूटर द्वारा एकाउंट अपडेट इत्‍यादि।
केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर तंत्र या कोर बैंकिंग सॉल्‍यूशन में, प्रत्‍येक कंप्‍यूटर एक केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर से जुड़ा होता है और केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर सभी कार्यों पर नियंत्रण करता है। केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर का अचानक विफल होना और केन्‍द्रीय कंप्‍यूटर तंत्र के विफल होने के परिणाम क्‍या हैं?
भारी नुकसान और ग्राहकों को दी जाने वाली आवश्‍यक सेवाओं जैसे आर.टी.जी.एस., एन.ई.एफ.टी., ऑनलाइन एकाउंट अपडेट इत्‍यादि में रुकावट। इस प्रकार के जोखिम को ‘संचालन जोखिम’ कहते हैं।
पी.एन.बी. में 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले का उदाहरण :-
पंजाब नेशनल बैंक के चिर परिचित घोटाले ने सभी का ध्‍यान आकर्षित किया है कि बैंक संचालन जोखिमों से किस प्रकार निपटती हैं।
बैंक की लेखा परीक्षा प्रक्रिया के पूरा असफल होने के कारण, कुछ आरोपियों ने नज़र में आए बिना अपने सामान्‍य व्‍यवसायिक लेन-देनों को जारी रखा था।
  • आंतरिक लेखा परीक्षा प्रक्रिया में विफलता।
  • ग्राहक के साथ कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण लंबे समय के लिए ऐसी बड़ी मात्रा में धनराशि का नियंत्रण किया जा सकता है।
  • कोई ट्रांसफर नहीं। कर्मचारी किस प्रकार एक पोजिशन पर बिना किसी स्‍थानांतरण के लंबे समय तक रह सकता है।
  • बिना किसी उचित व्‍यवस्‍था के स्विफ्ट (SWIFT) तक पहुंच केवल कुछ अधिकारियों तक ही सीमित होती है।
  • नोस्‍ट्रो एकाउंट्स पर निधि की अदायगी की स्थिति में लेखा परीक्षा में कमी।
परिभाषा :- कोर बैंकिंग तंत्र अथवा आंतरिक प्रक्रियाओं के विफल होने के कारण उत्‍पन्‍न होने वाले जोखिमों को संचालन जोखिम कहते हैं।

 बाज़ार जोखिम

3. बाज़ार जोखिम :- बाज़ार गतिविधियों के कारण, कुछ बैंकों के शेयर नीचे गिर जाते हैं (मान लीजिए कि एस.बी.आई. के शेयर 50 अंक कम हो गए हैं, तो एस.बी.आई. के लिए यह भी एक जोखिम है)।
आइए इस अवधारणा को समझते हैं -
मान लीजिए कि आई.डी.एफ.सी. भारत में एक निजी क्षेत्र का बैंक है। 4 अप्रैल, 2018 को आई.डी.एफ.सी. का शेयर मूल्‍य 90 रुपए प्रति शेयर था। 6 अप्रैल, 2018 को निम्‍न कारणों से शेयर मूल्‍य घटकर 75 रुपए प्रति शेयर हो गया:
  • अनुसूचित जाति/ जनजाति द्वारा भारत बंद
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बढ़ती अस्थिरता से निफ्टी बैंक शेयर गिर गया जिसका आई.डी.एफ.सी. के शेयरों पर भी असर पड़ा।
बैंक के शेयर के मूल्‍य में अचानक आई गिरावट जो कि बाज़ार में बैंक के निवेश के साथ जुड़ी है। ऐसे जोखिम को ‘बाज़ार जोखिम’ कहते हैं।
बाज़ार जोखिम का दूसरा उदाहरण
आई.डी.एफ.सी. ने कोल इंडिया के शेयर में 20 लाख रूपए का निवेश (माना इक्विटी निवेश) किया है। लेकिन अनिश्चित कारणों से, कोल इंडिया के शेयरों में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण आई.डी.एस.सी. बैंक के 20 लाख रुपए के निवेश का अवमूल्‍यन हो गया है। इक्विटी से जुड़े जोखिम (दूसरी कंपनी के स्‍टॉक में निवेश) को ‘बाज़ार जोखिम’ कहते हैं।
परिभाषा – कंपनी के शेयर मूल्‍यों में आई कमी अथवा कंपनी के निवेश वाली किसी दूसरी कंपनी के शेयर मूल्‍यों में आई कमी को बाज़ार जोखिम कहते हैं।
बाज़ार जोखिम अधिकांशत: इक्विटी निवेश में घाटे के कारण होता है। ब्‍याज दरों में अस्थिरता के कारण भी बाज़ार जोखिम हो सकता है।

 व्‍यवस्थात्‍मक जोखिम

4. व्‍यवस्थात्‍मक जोखिम :– बाहरी कारकों के कारण होने वाले जोखिम को व्‍यवस्थात्‍मक जोखिम कहते हैं। व्‍यवस्‍थात्‍मक जोखिम को ‘बाज़ार जोखिम’ अथवा ‘गैर-विविधतापूर्ण जोखिम भी कहते हैं। यह जोखिम का वह भाग है जो बैंक के नियंत्रण के बाहर होता है जैसे प्रबंधन, कर्मचारियों की हड़ताल, बाज़ार अस्थिरता, सरकार की अस्थिरता, बैंक में घोटाला आदि। इस प्रकार के जोखिम अप्रत्‍याशित होते हैं और इनसे पूरी तरह से बचा नहीं जा सकता है।
आइए इसकी अवधारणा को समझें –
मान लीजिए कि –
एन.डी.ए. के नेतृत्‍व वाली सरकार वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव हार जाती है, इसके कारण स्‍टॉक मार्केट टूट जाएगा और वैश्विक निवेशक अपना निवेश खोने के डर से एक निश्चित अवधि के लिए भारत में निवेश नहीं करेंगे।
साथ ही, भारत के लोग भी शेयर बाज़ार में कम निवेश करेगें। इसलिए, स्‍टॉक बाज़ार में निवेश घटेगा जिसके कारण लगभग सभी कंपनियों के शेयर मूल्‍य घटेंगे, जिसे बाज़ार में मुद्रा का प्रवाह घटेगा। यह पूरे बाज़ार को प्रभावित करेगा।
बैंक में हड़ताल – यदि सभी बैंक कर्मचारी राष्‍ट्रीय स्‍तर पर हड़ताल करते हैं और यह हड़ताल लंबे समय तक जारी रहती है, तो इसका समान प्रकार से सभी कंपनियों और व्‍यक्तियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
ऊपर बनाईं गई सभी स्थितियां अनिश्चित जोखिम हैं और इनका नुकसान बड़ा है। इसे ‘व्‍यवस्‍थात्‍मक जोखिम’ कहते हैं।

व्‍यापार जोखिम 

5. व्‍यापार जोखिम :– अपने लक्ष्‍य स्‍तर को प्राप्‍त करने में बैंक की असमर्थता।
आइए इस अवधारणा को समझते हैं :-
बैंक ऑफ बड़ौदा ने ABC नाम के स्‍टार्ट-अप में 50 लाख रुपए का निवेश किया जो फूड सप्‍लाई मैनेजमेंट पर कार्य करती है।
लोन की कुल अवधि 10 वर्ष है। लेकिन ABC कंपनी 10 वर्ष की समाप्ति पर पर्याप्‍त आय और लाभ के सृजन में असफल रही, जिसके कारण वह बैंक ऑफ बड़ौदा को 10 वर्ष बाद पुर्नभुगतान धनराशि और ब्‍याज देने में असमर्थ है।
इससे क्‍या होगा? इस जोखिम को व्‍यापार जोखिम कहते हैं। निवेशित धनराशि में हानि अर्थात बैंक ऑफ बड़ौदा के लिए 50 लाख रुपए का घाटा। 50 लाख रुपए बैंक ऑफ बड़ौदा के लिए परिसंपत्ति है।
व्‍यापार जोखिम’ आज बैंकिंग क्षेत्र में व्‍याप्‍त सभी जोखिमों में सबसे प्रमुख है।
परिभाषा :- व्‍यापारियों द्वारा बैंकों अथवा ऋणदाता को परिपक्‍वता पर ऋण ‘भुगतान न कर पाने की विफलता’ के कारण व्‍यापार जोखिम का जन्‍म होता है।

 प्रतिष्‍ठा जोखिम

(6)प्रतिष्‍ठा जोखिम – बड़े घोटाले अथवा स्‍कैम और बैंक के संचालनात्‍मक जोखिम पर नियंत्रण में विफलता के कारण नकारात्‍मक जन सोच विकसित होने का खतरा होता है।
  • ऋण का भुगतान न करना
  • बड़ा ऋण
  • बढ़ता एन.पी.ए.
ये सभी बैंक की प्रतिष्‍ठा को नुकसान पहुंचाते हैं। इस प्रकार के जोखिम को ‘प्रतिष्‍ठा जोखिम’ कहते हैं।
परिभाषा :- क्रेडिट घाटा + व्‍यापार हानि = बैंक के लिए प्रतिष्‍ठा हानि। इस प्रकार प्रतिष्‍ठा हानि को प्रतिष्‍ठा जोखिम कहते हैं।

 तरलता जोखिम

7. तरलता जोखिम :- बढ़ते एन.पी.ए. के कारण नकद उपलब्‍धता के जोखिम से बैंक क्रेडिट या ऋण देने से डरते हैं जिसके कारण बाज़ार में मु्द्रा का प्रवाह धीमा हो जाता है और इसके कारण तरलता में गिरावट आती है।
क्र‍ेडिट के पुर्नभुगतान न होने में भारी वृद्धि के कारण, बैंक की क्रेडिट क्षमता घटती है (पिछले उदाहरण में बी.ओ.बी. का उदाहरण लें)। पर्याप्‍त तरलता के अभाव में (नकद प्रवाह) सभी बैंक अपने असली ग्राहकों को ऋण देने में असमर्थ थीं। इस जोखिम को ‘तरलता जोखिम’ कहते हैं।
परिभाषा : तरलता जोखिम बड़े क्रेडिट घाटों और बैंक द्वारा व्‍यापारिक निवेश की हानि का परिणाम होता है।
ऊपर बताए गए सभी सात जोखिम सबसे प्रमुख जोखिमों में से एक हैं जिनका सभी बैंक सामना करते हैं और सभी में क्रेडिट जोखिम सबसे प्रमुख है। 

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