केंद्र ने 01 जून 2018 को तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी
के बीच पानी साझा करने के लिए कावेरी वॉटर ट्रिब्यूनल अवॉर्ड के कार्यान्वयन के लिए
कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) को अधिसूचित करने के लिए औपचारिक कदम उठाए
हैं।
केंद्र का यह निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा 2007 कावेरी
ट्रिब्यूनल अवॉर्ड को लागू करने के लिए सीडब्ल्यूएमए बनाने हेतु अपनी मंजूरी देने के
कुछ दिनों बाद आया है।
18 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद मामले
में केंद्र सरकार की जल प्रबंधन योजना के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट
ने केंद्र की संशोधित योजना को अपने आदेश के अनुरूप माना था।
कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण की संरचना और कार्य:
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संशोधित कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण
के फैसले को लागू कराने के लिये कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण एकमात्र निकाय होगा, जिसका
मुख्यालय दिल्ली में होगा।
इसकी सहायता के लिये बंगलूरू स्थित एक विनियमन समिति भी
होगी। प्रशासनिक सलाह देने के अलावा केंद्र में इसमें कोई भूमिका नहीं होगी। अर्थात्
यह एक द्वि-स्तरीय संरचना होगी, जिसमें न्यायालय के अंतिम निर्णय के अनुपालन को सुनिश्चित
करने के लिये एक शीर्ष निकाय होगा और एक विनियमन समिति होगी, जो क्षेत्र की स्थिति
और जल प्रवाह की निगरानी करेगी।
प्राधिकरण की अध्यक्षता चेयरमैन के द्वारा की जाएगी और
इसमें दो पूर्णकालिक और कई अंशकालिक सदस्य होंगे।
पूर्णकालिक सदस्यों को केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाएगा
जबकि बाकी दोनों सदस्य केंद्र द्वारा नामित किये जायेंगे।
इसके अतिरिक्त, चार राज्य एक प्रतिनिधि प्रत्येक समिति
के अतिरिक्त अंशकालिक सदस्य के रूप में नामांकित करेंगे।
प्राधिकरण के सचिव को भी केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य काफी व्यापक हैं, जिनमें
कावेरी जल का विभाजन, विनियमन और नियंत्रण, जलाशयों के संचालन की निगरानी और जल निस्तारण
का विनियमन आदि शामिल हैं।