चर्चा में क्यों?
अप्रैल 2019 में अमेरिका ने भारत सहित कुल आठ देशों को ईरान से तेल आयात करने को लेकर दी गई छूट खत्म कर दी थी।
उधर, ईरान तेल के बदले भारत समेत अन्य देशो से काफी सारी चीजें खरीदता है। उसकी इकॉनमी बिगड़ेगी तो भारत के साथ-साथ अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।
बता दें, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अपने चार साल के उच्चतम स्तर पर हैं और इसकी मार दुनिया के उन चार बड़े कच्चे तेल के आयातक देशों भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया पर पड़ रही है जो एशिया में आते हैं।
एक ओर तो कच्चा तेल सप्लाई करने वाले देशों की ओर से आपूर्ति में कमी की वजह से कीमतें बढ़ी हुई हैं वहीं, एशियाई देशों पर इसकी दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि ओपेक देश उन्हें तीन से चार डॉलर प्रति बैरल महंगी कीमतों पर कच्चे तेल की आपूर्ति करते हैं।
ओपेक क्या है?
ओपेक यानी तेल निर्यातक देशों के संगठन की स्थापना 1960 में हुई थी। 14 देशों के इस संगठन में शामिल तेल उत्पादक देश ये सोच कर साझा मंच पर आए कि वो आपूर्ति पर नियंत्रण बना कर क़ीमतें मनमुताबिक तय कर पाएंगे।
ओपेक के सदस्य देश हैं ईरान, इराक़, कुवैत, सऊदी अरब, वेनेज़ुएला, क़तर, इंडोनेशिया, लीबिया, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, नाईजीरिया, इक्वाडोर और अंगोला।
चालू खाता घाटा पर भी असर
तेल आयात की बढ़ती लागत के चलते किसी भी देश के व्यापार घाटा बढ़ने के साथ चालू खाता घाटा भी बढ़ेगा।
चालू खाता घाटा क्या है?
देश के कुल निर्यात और आयात के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है। ध्यान रहे यहां निर्यात और आयात सिर्फ वस्तुओँ से नहीं बल्कि वस्तुओँ और सेवाओँ के संदर्भ में लिए जाना चाहिए। यानी किसी देश में वस्तुओँ और सेवाओँ के आयात निर्यात के जरिए, कितनी विदेशी मुद्रा आती है और कितनी बाहर जाती है , उसके अंतर को चालू खाता घाटा कहते हैं। सिर्फ वस्तुओँ के निर्यात और आय़ात के अंतर को व्यापार घाटा ( ट्रेड डेफिसिट) कहा जाता है।
भारत अपने ईधन की ज़रूरतों की पूर्ति के लिए 80 फ़ीसदी कच्चा तेल आयात करता है। वहीं चीन 50 फ़ीसदी तो जापान और दक्षिण कोरिया तो 100 फ़ीसदी कच्चा तेल आयात करते हैं।
अप्रैल 2018 में भारत ने 45.1 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है और ये पिछले साल की तुलना में 2.5 फ़ीसदी अधिक है। यानी भारत में तेल की खपत बढ़ रही है।
भारत जिन देशों से कच्चा तेल आयात करता है उनमें इराक़, सऊदी अरब, ईरान, वेनेज़ुएला शामिल हैं। ये ओपेक के संस्थापक सदस्य देश भी हैं।