भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णयानुसार आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली के जरिये पैसा भेजना 1 जुलाई से सस्ता हो जाएगा।
रिजर्व बैंक ने इस तरह के धन प्रेषण पर बैंकों के ऊपर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगाने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक ने एक जुलाई से आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली से लेनदेन पर शुल्क हटाने की घोषणा की है।
रीयल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) प्रणाली का इस्तेमाल बड़ी राशि के लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है। वहीं नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) प्रणाली का उपयोग दो लाख रुपये तक की राशि के लेनदेन के लिए होता है।
भारतीय बैंक संघ के चेयरमैन सुनील मेहता है, जिन्होंने कहा, '' डिजिटल लेनदेन बढ़ाने की लिहाज से रिजर्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी धन प्रेषण पर बैंकों पर कोई भी शुल्क नहीं लगाने का निर्णय किया है। यह कदम बैंकों को ग्राहकों के लिए इन डिजिटल माध्यमों से धन हस्तांतरण पर शुल्क कम करने में मदद करेगा।
मराठा आरक्षण पर आया बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 जून 2019 को अपना फैसला सुना दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा है कि मराठा आरक्षण को 16 फीसदी से घटाकर 12 या 13 फीसदी करना चाहिए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा की राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है। अदालत ने एसईबीसी (SEBC) के कमीशन की रिपोर्ट को माना है। गायकवाड़ कमीशन रिपोर्ट के अनुसार, 12-13% आरक्षण दिया जाना चाहिए और इस बात को कोर्ट भी मानता है।
महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण दिया था। हाइकोर्ट में इसके खिलाफ और समर्थन में कई याचिकाएं दायर की गई है।
मराठा आरक्षण कब लागू हुआ था?
महाराष्ट्र विधानसभा ने 30 नवंबर 2018 को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव पारित किया था। आरक्षण को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएँ दायर की गईं थी।