भारत के भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एमकेIII-एम1 ने 3840 किलोग्राम भार वाले चन्द्र्यान-2 अंतरिक्षयान को पृथ्वी की एक कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया। यह अंतरिक्षयान इस समय धरती के निकटतम बिन्दुउ 169.7 किलोमीटर और धरती से दूरस्थक बिन्दुप 45,475 किलोमीटर पर रहते हुए पृथ्वी के चारों ओर चक्कयर लगा रहा है। यह उड़ान जीएसएलवी एमकेIII की प्रथम परिचालन उड़ान है।
20 घंटे तक चली उल्टी गिनती के बाद जीएसएलवी एमकेIII-एम1 यान ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर) में दूसरे लॉन्चर पैड से निर्धारित समय पर भारतीय समय के अनुसार दो बजकर 43 मिनट पर अपनी दो एस200 सॉलिड स्ट्रैप-ऑन मोटरों के इग्निशन के साथ शानदार ढंग से उड़ान भरी। उड़ान के बाद के सभी चरण निर्धारित क्रम में सम्प न्न किये गये।
उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट 14 सैकेंड के बाद यान ने चन्द्ररयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वीु की एक अंडाकार कक्षा में पहुंचा दिया। अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण यान से पृथक होने के फौरन बाद अंतरिक्ष यान की सौर श्रृंखला यानी सोलर ऐरे स्वरचालित रूप से तैनात हो गई और इसरो टेलिमिट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलूरू ने अंतरिक्ष यान का नियंत्रण सफलतापूर्वक ग्रहण कर लिया।
आने वाले दिनों में, चन्द्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए सिलसिलेवार ढंग से ऑर्बिट मॅनूवॅर्स किये जाएंगे। इससे अंतरिक्ष यान की कक्षा चरणों में ऊंची उठेगी और उसे एक लूनर ट्रांसफर ट्राजैक्ट्री में पहुंचाएगी। इस कदम से अंतरिक्ष यान चंद्रमा के निकट यात्रा कर सकेगा।
जीएसएलवी एमकेIII इसरो द्वारा विकसित किया गया तीन अवस्थालओं वाला एक प्रक्षेपण यान है। इस यान में दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन, एक कोर लिक्विड बूस्टार और क्रायोजनिक ऊपरी अवस्थाथ है। यह यान 4 टन के उपग्रहों को भूसमकालिक परिवर्तन कक्षा (जीटीओ) या लगभग 10 टन लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) का वहन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
चंद्रयान-2 भारत का चांद पर दूसरा मिशन है। इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का इस्तेमाल किया गया है। रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर के अंदर स्थित है।