भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 की अपनी तीसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.35 प्रतिशत की कटौती कर दी। यह लगातार चौथा मौका है जब रेपो दर में कमी की गयी है। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.40 प्रतिशत रह गयी।
लगातार चौथी बार नीतिगत दर में कटौती से बैंक कर्ज सस्ता होने तथा आवास, वाहन कर्ज की मासिक किस्तें (ईएमआई) कम होने के साथ साथ कंपनियों के लिये कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है।
रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकाल के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। रेपो दर में इस कटौती के बाद रिजर्व बैंक की रिवर्स रेपो दर भी कम होकर 5.15 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर घटकर 5.65 प्रतिशत रह गई।
रेपो दर में यह कटौती सामान्य तौर पर होने वाली कटौती से हटकर है। आम तौर पर आरबीआई रेपो दर में 0.25 प्रतिशत या 0.50 प्रतिशत की कटौती करता रहा है, लेकिन इस बार उसने 0.35 प्रतिशत की कटौती की है। रेपो दर में चार बार में अब तक कुल 1.10 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।
केंद्रीय बैंक ने 2019-20 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के जून के अनुमान को भी 7.0 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के दायरे में रहने का लक्ष्य मिला हुआ है।
तीन जून को हुई समीक्षा में भी इतनी ही कटौती की गई। कुल मिलाकर अब रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि दूसरी छमाही में इसके 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें घट-बढ़ का जोखिम बरकरार है।
अगली मौद्रिक नीति समीक्षा चार अक्टूबर 2019 को होगी।
वर्तमान नीतिगत दरें
रेपो रेट- 5.40%
रिवर्स रेपो रेट- 5.15%
बैंक दर- 5.65%
सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) - 5.65%